यह बातें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की कुलपति डाॅ नीलिमा सिन्हा ने शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही. उन्होंने कहा कि प्राच्य शिक्षा के विकास के लिए समय की मांग के अनुसार ही शिक्षा व उसकी पद्धति बहाल करनी होगी. इसके लिए शैक्षणिक प्रविधि बदलनी पड़ेगी. वीसी ने कहा कि संस्कृत शिक्षा को जबतक लोगों की अपेक्षाओं से नहीं जोड़ेंगे तब तक छात्रों की कमी का दंश झेलना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मृतप्राय ललित कला एवं आयुर्वेद संकाय की जीवंतता प्राथमिकता सूची दर्ज है.
छात्रों को संस्कृत शिक्षा से जोड़ने के लिए 72 घंटे का कैप्सूल कोर्स संचालित करने की बात कही. डाॅ सिन्हा ने कहा कि विवि को अकादमिक नेतृत्व देने की चेष्टा करुंगी. कक्षा एवं परीक्षा का संचालन ससमय हो, साफ-सुथरी व नियमानुकूल चले. उन्होंने कहा कि अनुशासन विवि की अनिवार्य अंग है. इसे हर हाल में बहाल रखना है. इसका अनुपालन शिक्षक, कर्मचारी, छात्र एवं अधिकारी सभी को पारदर्शितापूर्ण ढंग से करना होगा.