मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में डॉक्टरों व अस्पताल प्रबंधन बेरहमी की हद पार करने में लगे हैं. ऑपरेशन के बाद सात साल की बच्ची का ऐसा हाल हुआ कि उसके पेट के ऑपरेशन का स्टिच ही टूट गया. उसके ऑपरेशन में सूराख हो गये हैं. अब तो मांस में भी सड़न होने लगा है. उससे पानी बह रहा है. लेकिन किसी को दया तक नहीं आ रही है. डॉक्टर तो छोड़िए नर्सें भी झांक नहीं रही हैं. कुढ़नी प्रखंड के किनारू पंचायत के फुलबरिया निवासी संतोष साह की बेटी सिमरन कुमारी अस्पताल की बेरहमी के कारण वार्ड नंबर नौ के बेड नंबर छह पर लेटी जीवन व मौत के बीच फंसी हुई है.
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टूटा पेट के ऑपरेशन का स्टिच, बह रहा पानी
मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में डॉक्टरों व अस्पताल प्रबंधन बेरहमी की हद पार करने में लगे हैं. ऑपरेशन के बाद सात साल की बच्ची का ऐसा हाल हुआ कि उसके पेट के ऑपरेशन का स्टिच ही टूट गया. उसके ऑपरेशन में सूराख हो गये हैं. अब तो मांस में भी सड़न होने लगा है. उससे पानी […]
30 मई को आया था एसकेएमसीएच. सिमरन के दादा देवनाथ साह बताते हैं कि 28 मई को उसके पेट में परेशानी हुई. केजरीवाल अस्पताल लेकर आया. यहां पर अल्ट्रासाउंड के साथ कई जांच डॉक्टरों ने कराया. बोले, आंत उलझ चुका है. ऑपरेशन कर सुलझाना पड़ेगा. लेकिन मरीज की स्थिति को गंभीर होते देख डॉक्टरों ने इसे एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. यहां 30 मई को इमरजेंसी में इलाज के लिए भरती कराया. इसके बाद केजरीवाल के डॉक्टरों द्वारा करायी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर उसके पेट का ऑपरेशन कर दिया गया.
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर गये बाहर. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर किसी कारण से बाहर चले गये. इसके बाद इलाज ऐसा हुआ कि ऑपरेशन का करीब पांच स्टिच टूट गया. ऑपरेशन में सूराख हो गया है. उससे पानी गिरता रहता है. लेकिन, बच्ची के अलावे किसी को दर्द का एहसास नहीं हो रहा है.
डॉक्टर बोले, खुद खींचना होगा गंदगी. श्री साह बताते हैं कि ऑपरेशन के तीन दिन बाद नाक में लगा पाइप निकाल दिया. डॉक्टर बोले, थोड़ा-थोड़ा पानी देते रहिए. लेकिन जैसे ही पानी उसके मुंह में डाले, कुछ देर बाद मुंह से हरी-हरी उलटी होने लगी. दोबारा इमरजेंसी में ले गये, डॉक्टरों ने फिर पाइप नाक में डाल दिया. लेकिन पाइप जाम हो गया. उसका पेट फूलने लगा. जब डॉक्टर के पास ले गये तो उन्होंने एक सिरींज थमा दिया. बोले, इसी से पाइप की गंदगी खींच कर बाहर कर देना है. यह काम कौन करेगा के सवाल पर डॉक्टर बोले, खुद कीजिए. हम क्यों करेंगे? इसके बाद सिमरन की स्थिति लगातार बिगड़ती गई. मरीज के परिजनों को यह नहीं करने आया.
अब तो मांस भी गलने लगा.जब इमरजेंसी में जाते हैं तो स्टाफ बोलता है यहां कोई डॉक्टर नहीं है. डॉक्टर तो दूर नर्स तक झांकने नहीं आता है. स्टिच का धागा सड़ गया. अब मांस भी धीरे-धीरे गल रहा है. पानी से केवल होठ भींगा देते हैं. पेट से तो पानी निकल ही रहा है. घाव सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. सिमरन के दादा, पिता व चाचा विजेंद्र के साथ परिवार के साथ लोगों का हाल बेहाल है. डॉक्टर कब रहम करते हैं? कहना मुश्किल है. इस संबंध में एसकेएमसीएच के उपाधीक्षक के मोबाइल पर बात करने की दो बार कोशिश की गई, लेकिन संपर्क बात नहीं सकी.
मामला एसकेएमसीएच का
किनारू पंचायत के फुलवरिया की है सिमरन
आंत उलझने के बाद कराया था भरती
अस्पताल के रवैये के कारण हुआ यह हाल
न नर्स को छुट्टी न डॉक्टर को फुरसत
बरामद बाइक के सहारे लुटेरों तक पहुंचेगी पुलिस
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