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पीएचडी कॉमर्स की संचिका गायब!

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि के परीक्षा विभाग से वर्ष 2000 के पीएचडी कॉमर्स की संचिका गायब होने का मामला सामने आया है. संचिका में एक सौ से अधिक डिग्रियों के विवरण होने की बात बतायी जा रही है. इस मामला के सामने आने से एकबार फिर वर्षो बाद डिग्री घोटाले की आशंका बढ़ गयी […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि के परीक्षा विभाग से वर्ष 2000 के पीएचडी कॉमर्स की संचिका गायब होने का मामला सामने आया है. संचिका में एक सौ से अधिक डिग्रियों के विवरण होने की बात बतायी जा रही है. इस मामला के सामने आने से एकबार फिर वर्षो बाद डिग्री घोटाले की आशंका बढ़ गयी है.
जानकारी मिलने पर विवि प्रशासन गायब संचिका को खोजवाने में जुटा है. साथ ही इसके लिए जिम्मेवार कर्मी पर एफआइआर कराने की तैयारी भी की जा रही है.
बताया जाता है कि हर साल संकायवार पीएचडी की उपाधि से संबंधित संचिका बनायी जाती है. उसमें उपाधि मिलने वाले छात्रों का पूरा विवरण होता है. इसे विवि का रिकार्ड समझा जाता है.
इसी रिकार्ड के आधार पर मूल प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है. वर्ष 2002 में एक सौ से अधिक छात्रों को पीएचडी कॉमर्स की उपाधि दी गयी थी. उन उपाधियों का रिकार्ड जिस संचिका में दर्ज कर रखा गया, वह ढूंढ़ने से नहीं मिल रही. तत्कालीन कार्यालय सहायक का स्थानांतरण हो चुका है. संचिका का नहीं मिलना वर्तमान कार्यालय सहायक के लिए सिरदर्द बन चुका है.
ऐसे सामने आया मामला
एमडीडीएम कॉलेज में बीबीए के गेस्ट फैकल्टी डॉ पंकज पुरुषोत्तम को अचानक पीएचडी के मूल प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ गयी. उन्होंने विवि के नियमों के मुताबिक दो सौ रुपये का बैंक चालान जमा करवाया. उसके बाद मूल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वे परीक्षा विभाग गये. उन्हें दौड़ाया जाने लगा.
एक दिन जब वे सहायक के पीछे पड़े तो संचिका के नहीं मिलने की बात सामने आयी. दो दिनों के बाद उन्हें बुलाया गया. वे फिर गये. मगर वही जवाब मिला कि संचिका नहीं मिल रही है. कुलसचिव ने इसे गंभीरता से लेते हुए अविलंब संचिका ढूंढ़ कर डिग्री बनाने का निर्देश दिया, लेकिन संचिका थी कहां, जो डिग्री बने. तब डॉ पुरुषोत्तम, छात्र नेता प्रवीण कुमार सिंह के साथ कुलपति से मौखिक शिकायत की. लगभग दो महीने बीत गये, अब तक उन्हें मूल प्रमाण पत्र नहीं मिला है.

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