मृत्युंजय
मुजफ्फरपुर : बिहार के इंजीनियरिंग काॅलेजों में इस वर्ष 4544 सीटें खाली रह गयीं. तीसरी काउंसेलिंग के बाद भी सभी सीटों पर दाखिला नहीं हो सका. सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को मिलाकर कुल सीट 9444 थी, जिसमें 4900 पर दाखिले हुए. नये इंजीनियरिंग काॅलेज खुले हैं, उनमें नामांकन का आंकड़ा 50 भी नहीं पहुंचा है. एमआईटी समेत उत्तर बिहार के काॅलेजों में 787 सीटें खाली रह गयीं. इस वर्ष सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अगस्त महीने में छात्रों की तीन बार काउंसेलिंग करायी, फिर भी सीटें नहीं भरीं.
कंप्यूटर साइंस व इलेक्ट्रिकल में सीटें खाली : कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल ब्रांच की भी सीटें खाली रह गयीं. एमआईटी में इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन की दो सीटें, गया इंजीनियरिंग काॅलेज में कंप्यूटर साइंस की दो, सीतामढ़ी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की 14 और कंप्यूटर साइंस की 10 तथा दरभंगा में कंप्यूटर साइंस की सात सीटें खाली रह गयीं.
कई विषयों में नहीं हैं शिक्षक
इंजीनियरिंग कॉलेजों में कई विषयों में शिक्षक नहीं हैं. कंप्यूटर साइंस में कई कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. जो नये इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गये हैं, वहां गेस्ट शिक्षक की बहाली कर छात्रों को पढ़ाने के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी विचार कर रहा है. इसके अलावा इन कॉलेजों में लैब तकनीशियन की भी नियुक्ति करना बाकी है.
ज्यादातर नये कॉलेजों की 50% सीटें नहीं भरीं
राज्य में नये खुले 19 इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत बहुत ही खराब है. यहां कुछ काॅलेजों में दाखिले का आंकड़ा 50 तक भी नहीं पहुंचा है. नये खुले कॉलेजों में कुल सीटें 252 दी गयी हैं. जिन काॅलेजों में काफी कम एडमिशन हुए हैं, उनमें शिवहर, मधुबनी, बेतिया, शेखपुरा, खगड़िया, अररिया, सीवान, लखीसराय और मुंगेर शामिल हैं.