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बीआरएबीयू के प्रभारी कुलपति बने प्रो आरके मंडल

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो आरके मंडल को राजभवन ने कुलपति का प्रभार दिया है. मंगलवार को गवर्नर के आदेश पर प्रिंसिपल सेक्रेटरी बृजेश मेहरोत्रा की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. राजभवन का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है. कहा गया है कि अगले आदेश या स्थायी कुलपति […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो आरके मंडल को राजभवन ने कुलपति का प्रभार दिया है. मंगलवार को गवर्नर के आदेश पर प्रिंसिपल सेक्रेटरी बृजेश मेहरोत्रा की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. राजभवन का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है.

कहा गया है कि अगले आदेश या स्थायी कुलपति की नियुक्ति तक प्रो मंडल कुलपति के प्रभार में बने रहेंगे. 29 मई को तत्कालीन कुलपति डॉ अमरेंद्र नारायण यादव के इस्तीफा देने के बाद राजभवन सचिवालय की ओर से पूर्णिया विवि के कुलपति डॉ राजेश सिंह को प्रभार दिया गया था. राजभवन की ओर से कहा गया है कि प्रभारी कुलपति के पूर्णकालिक नहीं होने के कारण विवि की गतिविधियां प्रभावित हो रही थीं. एकेडमिक व एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए राजभवन ने प्रोवीसी प्रो मंडल को प्रभारी कुलपति बनाया है.

शिक्षकों व छात्रों ने दी बधाई. प्रो मंडल को प्रभार मिलने के बाद विवि के अधिकारियों-कर्मचारियों व शिक्षकों के साथ ही छात्रों ने भी उन्हें बधाई दी. कहा, छात्रों की लंबित समस्याओं का अब त्वरित गति से समाधान हो सकेगा. बुस्टा अध्यक्ष डॉ विवेकानंद शुक्ल, पीजी हिंदी विभाग के डॉ सतीश कुमार राय और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों ने भी उनसे मिल कर शुभकामनाएं दीं. छात्रनेताओं ने भी नयी जिम्मेदारी मिलने पर बधाई दी और छात्रहित में त्वरित निर्णय लेने का अनुरोध किया.

तीन महीने में नहीं पूरी हो सकी कुलपति की तलाश

डॉ अमरेंद्र नारायण यादव के हटने के बाद राजभवन तीन महीने में भी बीआरए बिहार विवि के लिए स्थाई कुलपति नहीं तलाश सका. जून के पहले हफ्ते में ही राजभवन ने कुलपति के लिए आवेदन मांगा था. करीब डेढ़ महीने तक यह प्रक्रिया चली. जुलाई के दूसरे हफ्ते तक आवेदन जमा हुआ. कहा जा रहा है कि बिहार विवि के कई अधिकारी व प्रोफेसरों ने भी दावेदारी की है. हालांकि उसके बाद जुलाई के साथ ही अगस्त भी गुजर गया. इस बीच विश्वविद्यालय की व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी होती जा रही थी. इसकी शिकायत लगातार राजभवन में होती रही. कहा जा रहा था कि डॉ राजेश सिंह यहां पूरा समय नहीं देते, जिसके कारण समस्याओं का समाधान मुश्किल हो रहा है. माना जा रहा है कि शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए स्थायी कुलपति की नियुक्ति तक राजभवन ने प्रोवीसी डॉ मंडल को ही प्रभार सौंप दिया है.

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