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अफवाह के कारण लीची कारोबार को लगी चपत

दिल्ली में 1300 रुपये पेटी थी कीमत मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार में फैले चमकी बुखार व एइएस को लीची से जोड़ कर अफवाह फैला दिये जाने के कारण इस साल किसानों और लीची व्यवसायियों को काफी नुकसान हुआ है. उत्तर बिहार से दिल्ली, जयपुर व आगरा की मंडियों में भेजी गयी लीची की […]

दिल्ली में 1300 रुपये पेटी थी कीमत

मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार में फैले चमकी बुखार व एइएस को लीची से जोड़ कर अफवाह फैला दिये जाने के कारण इस साल किसानों और लीची व्यवसायियों को काफी नुकसान हुआ है. उत्तर बिहार से दिल्ली, जयपुर व आगरा की मंडियों में भेजी गयी लीची की बिक्री काफी प्रभावित हुई है. कारोबारियों की मानें तो लीची नहीं बिकने की स्थिति में व्यवसायी लीची फेंक कर लौट जा रहे हैं.
लीची व्यवसाय से जुड़े एक कारोबारी ने बताया कि आरा मंडी में भी एक हजार रुपये प्रति पेटी बिकने वाली लीची डेढ़ से दो सौ रुपये तक लेने का कोई तैयार नहीं है़ जो लीची यूपी के बलिया में व्यवसायियों से गद्दीदार एक हजार से 1300 रुपये पेटी खरीदते थे, वे अब उसकी कीमत तीन सौ रुपये भी देने को तैयार नहीं हैं. व्यवसायियों के अनुसार, दिल्ली की आजादपुर मंडी में देहरादून की लीची बिक रही है.
लेकिन, बिहार की लीची खरीदने को कोई तैयार नहीं है़ अब भी मुजफ्फरपुर के कुछ इलाके में 20 प्रतिशत से अधिक लीची किसानों के बगीचे में लगी हुई है़ खरीदार नहीं मिलने व बाहर भेजने में भाड़े की कीमत नहीं मिलने से किसान उसे नहीं तोड़ रहे, क्योंकि बिक्री की गारंटी नहीं है़ मीनापुर के मनिकपुर निवासी किसान सुबोध कुमार ने बताया कि सोशल मीडिया पर बच्चों में हो रही बीमारी की वजह लीची बताये जाने का प्रचार इतना ज्यादा किया गया कि आठ जून से इसकी बिक्री प्रभावित होने लगी़ 13 जून के बाद यह वायरल हुआ. हालांकि सोशल मीडिया से दूर रहने वाले लोग बाहर में भी लीची खा रहे है़.
एक कारोबारी ने कहा कि दिल्ली की मंडी के गद्दीदार आठ सौ से 13 सौ रुपये प्रति पेटी कीमत दे रहे थे़ लेकिन, गुरुवार के बाद से डेढ़ सौ रुपये पेटी देने को तैयार नहीं है़ं लीची व्यवसायी आशीष सिंह ने बताया कि लीची नहीं बिकने के कारण आजादपुर मंडी गद्दी को बंद कर दिया है. किसान व्यवसायी को नुकसान हुआ है़.
लीची से बीमारी का कोई संबंध नहीं : डॉ सहनी
एसकेएमसीएच में शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बच्चों में हो रही बीमारी के लक्षण से लीची का कोई संबंध नहीं है. इसके खाने से बच्चे बीमार नहीं पड़ते हैं. बीमार बच्चों में ब्लड शूगर कम होने के साथ ही सोडियम की कमी व अधिकता भी पायी जा रही है. किसी बच्चे में पोटाशियम अधिक पायी जा रही है. सोडियम की मात्रा कम और लिवर में एंजाइम एजीपीटी लीची खाने से बढ़ सकता है़ लेकिन, किसी बच्चे में यह नहीं मिला है़ छह माह व एक साल, डेढ़ व दो साल के बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं, जो लीची नहीं खाते है़. एमसीपीजी टॉक्सिन लीची में पायी जाती है़ लेकिन इसके लक्षण बच्चों में नहीं पाये जा रहे है़ं अगर लीची से इसका संबंध होता है तो बारिश होते ही यह कैसे थम जाती है.
लीची तो पूरे देश में फिर हर जगह बीमारी क्यों नहीं : डॉ विशाल
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विशाल नाथ ने बताया कि बीमारी से लीची का कोई संबंध नहीं है. लीची में कई तरह के विटामिन पाये जाते है़ं इसमें बिटामीन बी, सी, सोडियम, पोटिशियम के साथ ही शुगर की मात्रा 14% तक होती है़ देश के कई हिस्सों में लीची पायी जाती है. लेकिन, उन जगहों पर लीची खाने से बीमारी की बात कभी नहीं आयी है़ यह कभी नुकसान नहीं करती है.

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