मुजफ्फरपुर: एइएस के कारणों की समीक्षा के लिए बुधवार को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष निशा झा व सदस्य डॉ निशिंद्र किंजल्क ने समाहरणालय सभागार में बैठक की. इसमें तमाम विभाग के पदाधिकारी, सभी सीडीपीओ, एएनएम आशा कार्यकर्ता व सीएस आदि शामिल थे. उन्होंने पोषाहार कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी ली. कहा, एइएस से मृत बच्चों में कुपोषण को भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है.
इसको लेकर अब प्रत्येक माह पोषाहार, खाद्यान्न वितरण व टीकाकरण की समीक्षा बैठक की जायेगी. विशेषकर के जिन जिलों में इस बीमारी का प्रकोप है वहां यह बैठक नियमित होगी. उन्होंने कहा कि बाल विकास परियोजना की सहायता से कुपोषण को जिले से खत्म किया जायेगा.
अब तक की मिली जानकारी के अनुसार गरमी, कुपोषण व आर्थिक तंगी इस बीमारी के प्रमुख कारण सामने आ रहे हैं. चिकित्सक इसे पोलियो अभियान के अनुसार खत्म कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम व आशा कार्यकर्ता महिलाओं को जागरूक करने का काम करेंगे. सीएस जिले में होने वाले टीकाकरण की नियमित जांच करेंगे. उन्होंने कहा कि गरीबों के बीच हो रहे खाद्यान्न वितरण की निगरानी की जाये.
मरने वाले 70 प्रतिशत बच्चे कुपोषित नहीं : चिकित्सकों के साथ अध्यक्ष निशा झा ने बैठक की.
इसमें एसकेएमसीएच के शिशुरोग के विभागाध्यक्ष डॉ ब्रज मोहन ने कहा कि इस बार जिन बच्चों की मौत एइएस से हुई है, उसमें 70 प्रतिशत बच्चे कुपोषित नहीं थे. बैठक में मौजूद अन्य चिकित्सकों ने भी इस बीमारी के कारणों के बारे में बयान देने पर एतराज
जताया. सभी का कहना था कि इस बीमारी को लेकर चारों ओर भ्रांतियां फैलाई जा रही है.
चिकित्सकों ने कहा कि जब तक इस बीमारी का कोई ठोस कारण नहीं पता चल जाता है तब तक किसी एक चीज या विषय को इसके लिए कारण बताना गैरजिम्मेदाराना है.
बैठक में अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन भानु प्रताप सिंह, एसकेएमसीएच प्रभारी जीके ठाकुर, सीएस ज्ञान भूषण, बाल अधिकार संरक्षण की रोजी रानी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी
मनोज कुमार सहित तमाम पदाधिकारी मौजूद थे.