मुजफ्फरपुर: एइएस से बच्चों की मौत के बाद पीड़ित मां-पिता किस तरह से लाचार होते हैं, ये देखने को मिला शनिवार की शाम केजरीवाल मातृसदन में, जहां मोतिहारी के मेहसी के रहनेवाले दसई पासवान के छह बर्षीय बच्चे रतन की एइएस से मौत हो गयी.
मौत लगभग 8.30 बजे हुई. बेटी की मौत से दसई टूट गया. उसे इस बात का भरोसा था, सरकार की ओर से तमाम घोषणाएं की गयी हैं, सो उसकी बच्ची का शव ले जाने के लिए उसे अस्पताल से एंबुलेंस मिल जायेगी. इसकी दसई को जरूरत भी थी, क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं थे, वो प्राइवेट एंबुलेंस कर पाता, क्योंकि आर्थिक रूप से वह सम्पन्न नहीं है. किसी तरह से बच्चों का भरण-पोषण करता है. इसी में उसका बच्च बीमारी से पीड़ित हुआ और इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.
बीपीएल श्रेणी से आनेवाले दसई ने अपने गांव में लोगों से बात की और पूरी स्थिति के बारे में बताया. इसके बाद उसकी आर्थिक स्थिति का पता चला, लेकिन दसई की मुश्किल समझने के लिए कोई तैयार नहीं था. कम से कम केजरीवाल मातृसदन तो नहीं.
वह मातृसदन के कर्मचारियों के सामने गिड़गिड़ाया, तो उनका दिल पसीजा. उन्होंने मातृसदन के प्रशासन बीबी गिरि के पास दसई की बात पहुंचायी, लेकिन वहां से ये कहा गया- मातृसदन की ओर से एंबुलेंस नहीं मिल सकती है, क्योंकि जिला प्रशासन की ओर से केवल एक एंबुलेंस दी गयी है, जिसका प्रयोग मरीजों लाने व उनका एमआरआइ कराने के लिए हो रहा है. वह रतन के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं दे सकते हैं. इस दौरान सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण से कई बार बात करने की कोशिश की गयी, ताकि दसई की मदद हो सके, लेकिन सिविल सजर्न का फोन नहीं उठा. दसई घंटों मदद की राह देखता रहा, लेकिन जब कोई मदद नहीं मिली, तो उसके गांव के आसपास के लोगों ने मदद का आश्वासन दिया, तब जाकर दसई निजी एंबुलेंस से अपने बच्ची के शव को लेकर मेहसी के लिए रवाना हुआ. लेकिन दसई के साथ हुए वाकये ने प्रशासन के उस दावे की कलई खोल दी है, जिसमें पीड़ित बच्चों की हर स्तर पर मदद का दावा किया जाता है.