मुजफ्फरपुर : छात्रसंघ का स्वरूप बदलने के लिए लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट वर्ष 2006 में तैयार हुई थी. उस वक्त कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव का नजारा कुछ और होता था. सांसद- विधायक की तर्ज पर चुनावों में धनबल का खुला प्रयाेग होता था. कैंपेनिंग के नाम पर लाखों रुपये फूंक दिये जाते थे. […]
मुजफ्फरपुर : छात्रसंघ का स्वरूप बदलने के लिए लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट वर्ष 2006 में तैयार हुई थी. उस वक्त कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव का नजारा कुछ और होता था. सांसद- विधायक की तर्ज पर चुनावों में धनबल का खुला प्रयाेग होता था. कैंपेनिंग के नाम पर लाखों रुपये फूंक दिये जाते थे. वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जतायी थी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह की अध्यक्षता में कमेटी बनायी. कमेटी को छात्रसंघ चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी थी. लिंगदोह कमेटी ने 22 सितंबर, 2006 को अपनी सिफारिशें कोर्ट को सुपुर्द कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सरकार को आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश जारी किया था. इस पर 28 नवंबर, 2006 को यूजीसी ने लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही चुनाव कराने के लिए सर्कुलर जारी कर दिया था. इसके आधार पर पिछले एक दशक से कई कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में चुनाव भी हो रहे हैं. हालांकि, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 1983 के बाद से ही छात्रसंघ चुनाव नहीं कराया गया है. दो साल पहले चुनाव की घोषणा विवि ने की थी, लेकिन बीच में ही कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया.
यह है लिंगदोह कमेटी की सिफारिश
किसी तरह के प्रिंटेड मैटर का प्रयाेग नहीं होगा. पंपलेट, पोस्टर व बैनर के प्रयोग पर रोक.
पांच हजार रुपये से अधिक कोई प्रत्याशी खर्च नहीं करेगा.
चुनाव लड़ने के लिये आयु सीमा भी निर्धारित की गयी है.
चुनाव प्रचार के लिए 10 दिन से अधिक का समय नहीं होगा.
किसी छात्र को दुबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा, चाहे जीते या हारे.
चुनाव प्रचार में वाहन, जानवर या लाउड स्पीकर का प्रयोग प्रतिबंधित है.
सत्र प्रारंभ होने के छह से आठ सप्ताह के भीतर चुनाव करा लेना है.
प्रचार के लिये पठन-पाठन में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचाई जाए.
कैंपस से बाहर चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं होगी.