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रोड़ा डाल कर लाइफलाइन बचाने की जुगत

मीनापुर : दस साल बाद आयी प्रलयंकारी बाढ़ से प्रखंड में बर्बादी का मंजर अब भी दिख रहा है. दो दर्जन पंचायतों में इसका सीधा असर है. सैकड़ों परिवार अब भी बेघर हैं तो कई राहत के लिए प्रशासन की तरफ टकटकी लगाये हैं. बाढ़ ने जान माल, फसल के साथ-साथ पुल-पुलियों को भी व्यापक […]

मीनापुर : दस साल बाद आयी प्रलयंकारी बाढ़ से प्रखंड में बर्बादी का मंजर अब भी दिख रहा है. दो दर्जन पंचायतों में इसका सीधा असर है. सैकड़ों परिवार अब भी बेघर हैं तो कई राहत के लिए प्रशासन की तरफ टकटकी लगाये हैं. बाढ़ ने जान माल, फसल के साथ-साथ पुल-पुलियों को भी व्यापक क्षति पहुंचायी है. कई सड़कें बाढ़ में बह गयी. कई जगहों पर गड्ढे बनने से आवागमन में परेशानी है.

मीनापुर प्रखंड के सभी बड़े पुलों के संपर्क पथ में दरार आ गया है.
विभाग ने इसको गंभीरता से नहीं लिया तो उत्तर बिहार से मुजफ्फरपुर जिले का कभी भी अवागमन ठप पड़ सकता है. बहरहाल रोड़ा डालकर लाइफलाइन को बचाने का प्रयास जारी है.
डेढ़ फुट तक धंसी सड़क : मीनापुर में गंगासागर पुल मुजफ्फरपुर-शिवहर मुख्य मार्ग की लाइफलाइन है. प्रतिदिन यहां से छोटे-बड़े हजारों वाहन गुजरते हैं. पुल के बीचो बीच बड़े गड‍्ढे बनने से खतरा बढ़ गया है. पुल के दोनों छोर पर गढ्ढे बन गये हैं. अगर किसी गाड़ी का चक्का गड्ढे में गया तो हादसे से कोई रोक नहीं सकता है. पुल के दोनों छोर पर सड़क फट गयी है. बाढ़ के कारण मीनापुर, खरार, रघई, रानीखैरा की संपर्थ सड़क धंस गयी है. नतीजतन वाहनों की स्पीड पर ब्रेक लगता रहता है. इसके अलावा दो दर्जन पंचायतों में भी सड़कों व पुलिया की हालत दयनीय है.
30 लोगों की हुई थी मौत
इस साल बाढ़ की विभीषिका में 30 लोगों की डूब कर जान गयी है. हजारों परिवार बेघर हुए. इसके बाद भी पीड़ितों को आज तक राहत नहीं मिली है. आधा दर्जन परिवार के लोगों को आज भी आपदा कोष का चार लाख रुपये नहीं मिल पाया है. बीडीओ संजय कुमार सिन्हा की मानें तो बाढ़ से करीब 24 सौ घरों को नुकसान पहुंचा है. लेकिन अब तक इनको पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला है.

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