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तिलकुट की सोंधी खुशबू से महक उठा बाजार, लाखों का हो रहा कारोबार

शहर का गांधी चौक एवं शादीपुर तिलकुट व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध है

– दो माह के इस बाजार से कारीगर और दुकानदारों दोनों को मिलती है आर्थिक मजबूती

– मकर संक्रांति के स्वागत में जुटा तिलकुट दुकानदार, शीशे के जार में चमक रहा तिलकुट

मुंगेर

शहर बाजार अब गुड़ और तिल की सोंधी खुशबू से महक उठा है. जगह-जगह पर कारीगर तिल कूट रहे हैं. तिलकुट की मांग बढ़ते ही धम्म-धम्म की आवाज और सोंधी महक से शहर गुलजार हो गया है. शहर की बात की जाए तो 100 से अधिक तिलकुट का थोक व छोटे-छोटे दुकान सड़क किनारे लग गयी है. अगर बात की जाए तिलकुट के व्यापार की तो महज दो माह में एक से दो करोड़ रुपए का तिलकुट का व्यापार मुंगेर में होने की संभावना है. जिसकी शुरूआत हो गयी है.

गांधी चौक और शादीपुर तिलकुट व्यवसाय के लिए है प्रसिद्ध

यू तो मुंगेर शहर में तिलकुट के कई दुकान हैं, लेकिन शहर का गांधी चौक एवं शादीपुर तिलकुट व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध है और यहां तिलकुट की बड़ी मंडी सजती है. स्थानीय लोग तो इस व्यवसाय से जुड़े ही हैं लेकिन गया एवं नवादा जिले के तिलकुट व्यवसायी भी यहां कारोबार के लिए पहुंचते हैं. जो भाड़े पर जगह लेकर कारोबार करते है. यहां की अर्थ व्यवस्था भी कुछ हद तक इस कारोबार पर टिकी हुई है. नवंबर माह से ही मुंगेर में तिलकुट का कारोबार चालू हो जाता है. जो जनवरी माह तक चलता है. इस दौरान यहां तिलकुट का कारोबार लाखों में होता है. एक दुकानदार एक दिन में कम से कम 5 से 10 हजार तक की बिक्री कर लेते हैं. सिर्फ शहर में 100 से अधिक तिलकुट के दुकान है. जबकि फुटकर व मिठाई के दुकान में भी तिलकुट का कारोबार होता है. इतना ही नहीं मुंगेर बाजार से जिले के अन्य बाजार में भी तिलकुट थोक में खरीद कर छोटे-छोटे दुकानदार ले जा रहे है. जिससे अनुमान लगाया जाता है कि यहां एक से दो लाख रुपये का तिलकुट व्यवसाय होता है.

नवादा व गया के कारीगर तैयार कर रहे है तिलकुट

तिलकुट निर्माण से जुड़े अधिकतर कारीगर गया या नवादा जिले के ही होते है. कई व्यापारी कानपुर से भी कारीगर बुलाते हैं. जो यहां के व्यापारियों के लिए पूरे ठंड के मौसम में काम करते हैं. इसके लिए व्यापारी उन्हें अग्रिम के साथ साथ अच्छी खासी मजदूरी के साथ यहां रहने खाने की भी सुविधा देते हैं. ताकि वे अधिक से अधिक उत्पादन उनके लिए कर सकें. नवादा के कारीगर अनिल सहनी ने बताया कि वह 10-12 कारीगर व मजदूर के साथ यहां तिलकुट निर्माण कार्य करने आये है. 14 नंबर से 15 जनवरी तक यह तिलकुट का निर्माण अनवरत चलता है. जबकि कई जगहों पर मेठ के माध्यम से मजदूर उपलब्ध कराये जाते हैं. हर साल यहां आकर तिलकुट निर्माण करते है.

कहते है दुकानदार

गांधी चौक पर किराया पर मकान लेकर तिलकुट का दुकान चला रहे गया के नीतीश कुमार ने बताया कि वह 5-6 करीगर के साथ गया से यहां तिलकुट का कारोबार करने आए है. नवंबर में तिलकुट कारीगर के साथ आये और यहां भाड़े पर जगह लेकर तिलकुट का कारोबार करते हैं. जनवरी माह तक यह व्यवसाय चलता है. एक दिन में 5 से 8 हजार तक की बिक्री होती है.लेकिन वर्तमान समय में कारोबार मंदा है.

मकर संक्राति की मिठाई है तिलकुट, है वैज्ञानिक महत्व

यू तो नवंबर माह से ही तिलकुट की सोंधी खुशबू से वातावरण खुशनुमा हो जाता है. लेकिन मकर संक्राति का मुख्य मिठाई तिलकुट माना जाता है. मकर संक्राति पर तिलकुट का सेवन किया जाता है.तिलकुट की बिक्री ठंड में ज्यादा होती है. क्योंकि इस मिठाई में तिल का प्रयोग किया जाता है. वैज्ञानिक महत्व है कि तिल गरमी प्रदान करती है. इसलिए ठंड में तिलकुट का लोग सेवन करते है.

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तिलकुट के दाम पर एक नजर

गुड का तिलकुट – 250 से 300 रुपये किलो

चीनी का तिलकुट – 240 से 280 रुपये किलो

खोआ तिलकुट – 300 से 400 रुपये किलो

पापरी रॉल तिलकुट – 300 से 350 रुपये किलो

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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