मुंगेर. गर्मी शुरू होते ही आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. इसके साथ ही अग्निशमन विभाग की ” अग्निपरीक्षा ” के दिन भी शुरू हो गये हैं. 2025 में अब तक 16 अग्निकांड हो चुके हैं. हालांकि आग पर रोक के लिए विभाग पूरी तरह मुस्तैद है. अग्निशमन विभाग ने दावा किया है वह वर्तमान में सभी संसाधनों से लैस है और सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई कर रहा है. अब देखना है कि आने वाले समय में होने वाले अग्निकांड पर किस प्रकार से विभाग काबू कर पाता है.
18 बड़े-छोटे दमकल के साथ विभाग है तैयार
अग्निशमन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में अनुमंडल स्तर पर अग्निशमन विभाग संचालित हो रहा है. इसके पास 18 बड़े-छोटे दमकल हैं. जिला मुख्यालय मुंगेर के पास कुल 10 दमकल हैं. 5 हजार लीटर का जहां दो दमकल है, वहीं 4500 लीटर वाला एक दमकल है. जबकि 4500 लीटर वाला एक फोम टेंडर वाला वाहन है. इसके साथ ही 400 लीटर वाला 6 दमकल इसके अधीन है. इसमें एक फायर स्टेशन में रखा गया, जबकि अन्य मुफस्सिल थाना, नयारामनगर थाना, जमालपुर थाना, बरियारपुर और धरहरा थाना में रखा गया है. इसी तरह तारापुर अनुमंडलीय अग्निशमन विभाग के अधीन 2 बड़े और 3 छोटे दमकल संचालित हो रहे हैं. इसमें तारापुर, संग्रामपुर, असरगंज और हरपुर थाना में एक -एक दमकल रखा गया है. खड़गपुर अनुमंडल अग्निशमन विभाग के अधीन 2 बड़े और 1 छोटे दमकल संचालित हो रहे है. इसमें से एक बड़े दमकल को 15 जून तक के लिए टेटियाबंबर थाने में प्रतिनियुक्त किया गया है, जबकि अन्य वाहन फायर स्टेशन और खड़गपुर थाने में प्रतिनियुक्त है.
संसाधनों की नहीं है कमी, 102 कर्मी हैं आग बुझाने के लिए तैनात
जिले में आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है. जिले में कुल 102 कर्मी हैं, जिनके कंधों पर आग पर काबू पाने की जिम्मेदारी है. इसमें दो सहायक अग्निशमन पदाधिकारी, एक प्रभारी अग्निशमन पदाधिकारी, 1 अनुमंडल अग्निशमालय पदाधिकारी तारापुर, 9 प्रधान अग्निक हैं. इसमें 5 मुंगेर और 3 तारापुर व 1 हेवली खड़गपुर में तैनात हैं. जबकि 19 अग्निक चालक और 70 अग्निक हैं. अग्निक के लिए फायर एक्सटेंशन, 3 फायरशूट, जहरीले धुंआ से बचाव करने वाली मशीन, एक स्कॉक एडजेस्टर, 8 ब्रिथिंग ऑपरेटर सिस्टम विभाग के पास है. जबकि पानी के लिए विभाग परिसर में हाइडेंट सिस्टम है.
मात्र 35 मीटर तक चढ़ने के लिए है सीढ़ी की व्यवस्था
अग्निशमन विभाग के वाहनों पर फोल्डिंग सीढ़ी की व्यवस्था है. लेकिन उस सीढ़ी के सहारे मात्र 35 मीटर तक ऊंची जगहों पर ही आग बुझायी जा सकती है. इससे अधिक ऊंचाई पर लगी आग पर काबू पाने के लिए विभाग के पास हाइड्रोलिक सीढ़ी की व्यवस्था होनी चाहिए थी, जो विभाग के पास नहीं है. अगर गलियों वाली इस शहर में बनी बड़ी-बड़ी इमारतों में आग लग जाती है तो न तो दमकल पहुंचेगी और न ही हाइड्रोलिक सीढ़ी है.
कहते हैं अधिकारी
सहायक जिला अग्निशमन पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 15 मार्च से 15 जून तक अगलगी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. हालांकि विभाग संसाधनों से पूरी तरह से लैस है. सूचना पर घटनास्थल पर त्वरित आग बुझाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है.
इन सावधानियों को रखेंगे, तो खतरा होगा कम
– रात में सोने से पहले घरों की अच्छी तरह जांच कर सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद करे.
– खलिहान के पास किसी तरह की आग नहीं जलाएं.– बिजली के तारों के किसी भी जोड़ को ढीला व खुला नहीं छोड़ें.
– जहां पर सामूहिक भोजन बनाने का काम हो, वहां पर एक बाल्टी पानी जरूर रखें.– किसी भी जलती वस्तु को सोने से पहले जरूर बुझा दें.
– आग लगने पर 101/112 नंबर डायल करें. – भवनों के प्रवेश व निकास को किसी भी परिस्थिति में अवरुद्ध न करें.-विद्युत प्रभार के अनुपात में ही भवनों में मानक विद्युत तार व उपकरण लगाएं व समय-समय पर जांच कराएं.
– पुराने भवनों का फायर ऑडिट कराएं व अग्निशामक विभाग द्वारा दिये गये निर्देशों व सुझावों का पालन करें.– झोपड़ी के आसपास सूखी घास, लकड़ी या अन्य ज्वलनशील सामग्री न रखें, खाना पकाने के दौरान ईंधन सुरक्षित स्थान पर रखें.
– बिजली के तारों को ठीक से ढकें और क्षतिग्रस्त तारों को तुरंत बदलें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है