जमालपुर. बाबा नगर जमालपुर स्थित आध्यात्मिक केंद्र आनंद संभूति मास्टर यूनिट अमझर में आयोजित भव्य धर्म महासम्मेलन के पहले दिन का शुभारंभ आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्साह से परिपूर्ण रहा. प्रातः कालीन सत्र की शुरुआत साधकों द्वारा गुरु सकाश, पांचजन्य एवं सामूहिक साधना से हुई. जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक चेतना से गूंजायमान हो उठा.
पांचजन्य के साथ ही धर्म महासम्मेलन के कई कार्यक्रम आरंभ
आनंद मार्ग प्रचारक संघ केंद्रीय द्वारा बाबा नगर जमालपुर में वर्ष में दो बाद विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. यहां यह 32वां धर्म महासम्मेलन है. जबकि आनंद संभूति मास्टर यूनिट में यह छठ विश्व स्तरीय धर्म सम्मेलन है. आनंद संभूति मास्टर यूनिट पहुंचकर आनंद मार्ग के अनुयाई गदगद हैं. धर्म महासम्मेलन के सिलसिले में गुरुवार से ही 72 घंटे का बाबा नाम केवलम का अखंड कीर्तन आरंभ हो गया है. जो रविवार अपराह्न 15:00 बजे समाप्त होगी.
पुरोधा प्रमुख को मिला पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर
पुरोधा प्रमुख के आगमन पर आनंद मार्ग सेवा दल के समर्पित स्वयंसेवकों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर स्वागत किया. जिसका नेतृत्व सुरक्षा प्रमुख पारस ने किया. मंच पर पहुंचने के बाद पुरोधा प्रमुख ने बाबा आनंदमूर्ति के भाव चित्र पर माल्यार्पण किया. इसके बाद हरि परिमंडल गोष्टी महिला विभाग के अंतर्गत आचार्या अवधुतिका आनंद आराधना के नेतृत्व में बहनों ने कौशिकी नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी. जिसने सभी को मंत्र मुक्त कर दिया. वहीं हरि परिमंडल गोष्टी सेवा धर्म मिशन के तहत आचार्य सुष्मितानंद अवधूत के निर्देशन में 13 बाल साधकों ने जोश और ऊर्जा से परिपूर्ण तांडव नृत्य प्रस्तुत किया. जिसने पूरे माहौल को ओजस्विता और आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया.
प्रभात संगीत का तीन भाषाओं में प्रस्तुत किया गया अनुवाद
पीपी दादा अर्थात पुरोधा प्रमुख के आगमन के पश्चात आचार्य जगदात्मा नंद अवधूत और जगतदीपानंद अवधूत द्वारा प्रभात संगीत की प्रस्तुति की गयी. जिसमें तबले पर आचार्य सुभद्रानंद अवधूत ने साथ दिया. प्रभात संगीत बांग्ला भाषा में प्रस्तुत किया गया. जिसका हिंदी में वरिष्ठ मार्गी प्रद्युम्न नारायण ने अंग्रेजी में आचार्य विमलानंद अवधूतने और बंगाल में आचार्य नवरूणानंद अवधूत ने अनुवाद प्रस्तुत किया. जिससे संपूर्ण वातावरण भक्ति और आध्यात्मिक आनंद में डूब गया.
प्रतिपादित तांडव नृत्य को भगवान आनंदमूर्ति ने किया स्थापित
जमालपुर.
आनंद मार्ग प्रचारक संघ के केंद्रीय जनसंपर्क सचिव आचार्य कल्याणमित्रानंद अवधूत ने बताया कि आनंद मार्ग के दायरे में तांडव नृत्य का विशेष महत्व है. आनंद मार्ग का मानना है कि तांडव नृत्य का प्रतिपादन लगभग 60 हजार वर्ष पहले देवों के देव महादेव शिव ने किया था. कालांतर में मानव जाति तांडव नृत्य को भूलने लगे. जिसे गुरुदेव आनंदमूर्ति ने पुनः स्थापित किया. माना जाता है कि तांडव नृत्य मानव मस्तिष्क के विकास का एकमात्र उपाय है और यही कारण है कि इसके लगातार अभ्यास से याददाश्त शक्ति, सृजनात्मक क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है. छात्रों एवं युवाओं के लिए यह एक सर्वोत्तम आसान है. उन्होंने बताया कि महिलाओं को किसी भी हालत में तांडव नृत्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से उन्हें दाढ़ी-मूंछ निकल आती है.
महिलाओं के सभी 22 रोगों की औषधि है कौशिकी नृत्य
जमालपुर. आनंद मार्ग के संस्थापक बाबा आनंदमूर्ति ने महिलाओं से संबंधित सभी 22 रोगों की औषधि के रूप में कौशिकी नृत्य का प्रतिपादन किया है. इस नृत्य को करने से महिलाओं और बालिकाओं की समस्त बीमारियों से मुक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि कौशिकी नृत्य करने से लिवर, किडनी, पेनक्रियाज और स्प्लीन पर प्रभाव पड़ता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. आचार्य ने बताया कि कौशिकी नृत्य का प्रतिपादन बाबा आनंदमूर्ति ने विगत 6 सितंबर 1978 को प्रदेश की राजधानी पटना में किया था. यह नृत्य वैज्ञानिकता पर पूरी तरह से आधारित है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

