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पॉक्सो एक्ट में सटीक अनुसंधान नहीं होने पर आरोपित हो जाते हैं बरी

पॉक्सो एक्ट जैसे संवेदनशील मामलों को लेकर पुलिसकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

मुंगेर. पॉक्सो एक्ट के मामले में पुलिस कार्रवाई तो करती है, लेकिन कई मामलों में सजा नहीं दिलवा पाती. इसकी सबसे बड़ी वजह पुख्ता और सटीक अनुसंधान का न होना है. यही कारण है कि आरोपित कोर्ट से बरी हो जाते हैं. इसको देखते हुए पॉक्सो एक्ट में बेहतर अनुसंधान कैसे हो और कैसे दोषियों को सजा दिलायी जाये. इसको लेकर पुलिस लाइन स्थित सभागार में पुलिस पदाधिकारियों की संवेदनशीलता बढ़ाने एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में मौजूद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-6 ( विशेष न्यायाधीश पोक्सो ) ने पॉक्सो एक्ट के तहत पुलिसकर्मियों को पीड़ितों से संवेदनशील व्यवहार, प्रभावी जांच तकनीक, कानूनी प्रावधानों और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने जैसे विषयों पर जानकारी दी. किशोर न्याय परिषद मुंगेर के प्रधान दंडाधिकारी प्रज्ञा मानस, जिला अभियोजन निदेशालय मुंगेर के उप निदेशक सह मुख्य अभियोजक अनिल कुमार, लोक अभियोजक संजय कुमार सिंह, विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो कोर्ट प्रीतम कुमार वैश्य ने भी गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को लेकर आवश्यक जानकारी दी. एसपी सैयद इमरान मसूद ने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य जांच की गुणवत्ता को बढ़ाना, साक्ष्य इकट्ठा करना और न्याय सुनिश्चित करना है. मौके पर अनुमंडल अभियोजक पदाधिकारी लक्ष्मीकांत पुरोहित, जेजेवी मुंगेर के अभियोजन पदाधिकारी रिशु कुमार सहित अन्य मौजूद थे.

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