बदहाली. अब तक तीन बार हो चुका है उद्घाटन
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कोमा में पड़ा है आइसीयू
बदहाली. अब तक तीन बार हो चुका है उद्घाटन प्रमंडलीय मुख्यालय में इलाज के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, लेकिन यहां उन्हें आइसीयू का लाभ नहीं मिल पाता है. इस वजह से कई मरीज अक्सर रेफर कर दिये जाते हैं. आइसीयू का तीन बार उद्घाटन हुआ है, लेकिन विभाग की इच्छाशक्ति के अभाव में […]
प्रमंडलीय मुख्यालय में इलाज के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, लेकिन यहां उन्हें आइसीयू का लाभ नहीं मिल पाता है. इस वजह से कई मरीज अक्सर रेफर कर दिये जाते हैं. आइसीयू का तीन बार उद्घाटन हुआ है, लेकिन विभाग की इच्छाशक्ति के अभाव में यह सक्रिय नहीं हो पाया है. इस अोर ध्यान देने की जरूरत है.
मुंगेर : कहने को तो मुंगेर छह जिलों का प्रमंडलीय मुख्यालय है़ किंतु यहां पर चिकित्सा सेवा की बदहाल व्यवस्था प्रमंडलीय मुख्यालय को मुंह चिढ़ा रहा है़ यहां के सदर अस्पताल में आईसीयू तक की सेवा उपलब्ध नहीं है़ हाल यह है कि पिछले एक दशक में लाखों रुपये खर्च कर आईसीयू का तीन-तीन बार उद्घाटन किया गया. किंतु अबतक जिले के एक भी रोगी को आईसीयू में भरती नहीं किया जा सका है़ अलबत्ता लाखों रुपये का संयंत्र जंग लग कर नष्ट हो गये.
तीन बार हो चुका है आईसीयू का उद्घाटन: लगभग 10 वर्ष पूर्व सदर अस्पताल के कैदी वार्ड के समीप आईसीयू का उद्घाटन किया गया था़ किंतु अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता के कारण उद्घाटन के बाद भी इसे मरीजों के लिए चालू नहीं किया गया़ काफी दिन आईसीयू के मशीनों का उपयोग नहीं होने के कारण कई मशीनें खराब हो गयी़ जिसे ठीक करवा कर पुन: आईसीयू का उद्घाटन किया गया़ किंतु इसके बाद भी आईसीयू में मरीजों को भरती नहीं किया गया़
लंबे समय तक आईसीयू का उपयोग नहीं होने से यहां पर रखी मशीनें फिर से खराब हो गयी़ जिसे तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ जवाहर प्रसाद सिंह के पहल पर ठीक करवाया गया तथा वर्ष 2015 के 27 फरवरी को तत्कालीन जिलाधिकारी अमरेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा आई हॉस्पीटल के समीप आईसीयू का पुन: उद्घाटन किया गया़ किंतु दुर्भाग्य यह है कि इस बार भी उद्घाटन के बाद आईसीयू चालू नहीं हो पाया और इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिला. अलबत्ता यह कि इसके नाम पर जहां लाखों रुपये बरबाद हुए. वहीं नर्स व एएनएम की ड्यूटी भी लगती रही.
गंभीर रोगियों के लिए आइसीयू जरूरी : आईसीयू असल में एक तरह का खास कक्ष होता है, जिसमें तमाम तरह के अत्याधुनिक जीवन रक्षक उपकरण मौजूद होते हैं. इसकी मदद से गंभीर रोग या ट्रोमा की स्थिति में आये मरीज को बचाया जा सकता है़ आइसीयू में हर तरह के रोग के अनुसार विशेष मशीनें होती है और मरीजों की स्थिति पर बड़ी बारीकी से नजर रखा जाता है़ इसके लिए आईसीयू में वेंटीलेटर, इलेक्ट्रोनसीफेलोग्राफी, इइजी बॉक्स, डायलासिस, सेंट्रल लाइन, पल्स ऑक्सीटोमीटर, इंटरकर्नियल प्रेशर मॉनिटर, कंप्रेशन बूट्स, बेडसाईड मॉनीटर, आईवी पंपफीडिंग ट्यूब सहित और भी छोटी-छोटी मशीनें रहती है़ जिसकी मदद से यहां पर मौजूद चिकित्सक गंभीर से गंभीर मरीजों को बचाने में सफल हो पाते हैं. हालांकि वर्तमान समय में कई मशीने खराब पड़ी हुई है़
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि तकनीकी कारणों की वजह से आईसीयू सेवा आरंभ नहीं हो पा रही है़ किंतु अब जल्द ही आइसीयू को नशामुक्ति केंद्र में शिफ्ट कर इसे नये सिरे से प्रारंभ किया जायेगा. उन्होंने कहा कि इस माह मुंगेर के लोगों को इसकी सुविधा मिलने लगेगी.
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