भूकंप दिवस. 15 जनवरी को 434 लोगों की हुई थी मौत
15 जनवरी 1934 का दिन मुंगेर के लिए काला दिन है. इस दिन आये भूकंप में मुंगेर शहर पूरी तरह से तबाह हो गया था. आज का मुंगेर इसके बाद आधुनिक रूप से बसाया गया है.
मुंगेर : भूकंप मुंगेर शहर के लिए अभिशाप रहा है. यह शहर भूकंप जोन में शामिल होने के कारण बार-बार इस प्राकृतिक आपदा से जूझता रहा है, लेकिन 15 जनवरी 1934 का भूकंप इस शहर के लिए विनाशकारी रहा था. पूरा शहर मलवे में तब्दील हो गया था और इस विनाश लीला में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ संपूर्णानंद जैसे लोगों ने कुदाल व डलिया उठाया था.
15 जनवरी 1934 का दिन मुंगेर के इतिहास में काला अध्याय माना जाता है. दोपहर के समय आये भूकंप ने शहर को अस्त-व्यस्त कर दिया था और चारों ओर तबाही का मंजर था. इस भूकंप में जहां लगभग 1434 लोगों की मौत हुई थी वहीं पूरा शहर मलवे में तब्दील हो गया था. धन-बल की भी भारी क्षति हुई थी. खेतों में दरारें पर गयी थी और चारों ओर हाहाकार मचा था. त्रासदी को देखते हुए देश के शीर्ष कर्णधार पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वयं फावड़ा (बेलचा) उठा कर मलवा को हटाया था. पंडित मदन मोहन मालवीय, सरोजनी नायडू, खान अब्दुल गफ्फार खान, यमुना लाल बजाज, आचार्य कृपलानी जैसे लोगों ने मुंगेर में आकर राहत कार्य में सहयोग किया था. आज का मुंगेर पूरी तरह आधुनिक रूप से बसा हुआ है मुंगेर है. यह मुंगेर 1934 के बाद बड़े ही तकनीकी व खूबसूरत ढंग से बसा. लेकिन बार-बार भूकंप का प्रकोप लोगों का दिल दहला देता है.
पहले कब-कब मुंगेर में आया है भूकंप
7 अक्तूबर 1920 5.5
15 जनवरी 1934 8.4
11 जनवरी 1962 6.0
21 अगस्त 1988 6.7
18 सितंबर 2011 5.7
25 अप्रैल 2015 7.9
28 अप्रैल 2015 6.8
4 जनवरी 2016 6.9
