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व्यवहार न्यायालय मुंगेर में न्यायाधीशों की कमी, प्रभार में हैं विशेष न्यायाधीश

उत्पाद, एनडीएपीएस, पोस्को व एससीएसटी एक्ट के लिए नहीं है विशेष न्यायालय की व्यवस्था न्यायाधीशों की कमी के बीच मुंगेर को मिले दो अपर सत्र न्यायाधीश मुंगेर : व्यवहार न्यायालय मुंगेर में न्यायाधीशों की घोर कमी है. पिछले कई माह से यहां जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अतिरिक्त मात्र दो अपर सत्र न्यायाधीश कार्यरत हैं. […]

उत्पाद, एनडीएपीएस, पोस्को व एससीएसटी एक्ट के लिए नहीं है विशेष न्यायालय की व्यवस्था

न्यायाधीशों की कमी के बीच मुंगेर को मिले दो अपर सत्र न्यायाधीश
मुंगेर : व्यवहार न्यायालय मुंगेर में न्यायाधीशों की घोर कमी है. पिछले कई माह से यहां जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अतिरिक्त मात्र दो अपर सत्र न्यायाधीश कार्यरत हैं. जबकि मुंगेर में छह अपर सत्र न्यायाधीश के पद स्वीकृत हैं. राज्य सरकार ने नयी अधिसूचना के तहत जिन 96 अपर सत्र न्यायाधीश को राज्य के विभिन्न जिलों में पदस्थापित किया है. जिसमें दो एडीजे अनुराग एवं महेश कुमार को मुंगेर में पदस्थापित किया गया है. वैसे मुंगेर न्याय मंडल में अबतक एक भी स्पेशल एक्ट यथा उत्पाद अधिनियम, अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम, पोस्को एक्ट के विशेष न्यायाधीश पदस्थापित नहीं हैं. जिसके कारण अपर सत्र न्यायाधीश के जिम्मे ही विशेष न्यायाधीश का कार्यभार संचालित किया जा रहा.
मुंगेर व्यवहार न्यायालय काफी लंबे समय से न्यायाधीशों की कमी को झेल रहा. हाल यह है कि मुंगेर में काफी लंबे समय से छह के बदले मात्र दो-तीन अपर सत्र न्यायाधीश कार्य कर रहे. जिसका असर न्यायिक कार्यों पर भी पड़ रहा है. लगभग छह माह पूर्व मुंगेर के तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव का तबादला हो गया. जिसके कारण यह न्यायालय रिक्त हो गया था. बाद में अपर सत्र न्यायाधीश पंचम त्रिभुवन नाथ को एडीजे प्रथम बनाया गया.
लेकिन एडीजे पंचम का न्यायालय आज भी रिक्त है. वर्तमान में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम व द्वितीय ही कार्य कर रहे हैं. बताया जाता है कि गत वर्ष अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय विभाकर दूबे के सेवानिवृत्ति के बाद उनके स्थान पर किसी सत्र न्यायाधीश को पदस्थापित नहीं किया गया. जबकि पूर्व में एडीजे चतुर्थ रहे एचएन पांडेय के स्थानांतरण के बाद जो यह न्यायालय रिक्त हुआ तो फिर यहां अपर सत्र न्यायाधीश पदस्थापित नहीं हुए.
प्रभार में चल रहा विशेष न्यायालय
सरकार ने समय-समय पर विभिन्न विशेष अधिनियम को तो लागू किया. लेकिन जिला स्तर पर विशेष न्यायालय के लिए विशेष न्यायाधीशों का पदस्थापन नहीं किया गया. जिसके कारण स्पेशल एक्ट के मामलों का निष्पादन भी द्रुत गति से नहीं हो पा रहा. जिलास्तर पर अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम, एनडीपीएस, उत्पाद एवं पोसको एक्ट के लिए विशेष न्यायालय की जरूरत है. लेकिन मुंगेर में एक भी विशेष न्यायालय व विशेष न्यायाधीश का पदस्थापन नहीं हुआ है. एनडीपीएस के मामलों की जहां जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में सुनवाई होती है. वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पोस्को एक्ट के मामलों की सुनवाई के लिए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम को इन अधिनियमों के विशेष न्यायाधीश की जिम्मेदारी दी गयी है. जबकि उत्पाद अधिनियम की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय के न्यायालय में हो रहा.
विशेष अधिनियम के लिए विशेष न्यायालय की नितांत आवश्यकता है. ताकि उन अधिनियमों के तहत संचालित वाद का ससमय का विचारन हो सके. चूंकि मुंगेर में एक भी विशेष अधिनियम के न्यायालय नहीं हैं. फलत: मुकदमों की सुनवाई में विलंब होना लाजिमी है. वे इस संदर्भ में अभियोजन की ओर से जिला पदाधिकारी को भी अवगत कराये हैं. ताकि विशेष न्यायालय के पदस्थापन की दिशा में समुचित व्यवस्था हो सके.
संजय कुमार सिंह, विशेष लोक अभियोजक (उत्पाद)

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