15.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नरियाना पुल टूटा तो सैकड़ों हुए प्रभावित

हो गये बेरोजगार. लगती थी ट्रक चालकों की महफिल, रोज होती थी अच्छी कमाई खैरा-सोनो मार्ग पर बने दर्जनों होटल और ढ़ाबे नारियाना पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद सुनसान पड़ गये हैं. ट्रकों का आवागमन रुक जाने के बाद उक्त मार्ग पर होटल संचालित कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे दर्जनों होटल संचालक अब […]

हो गये बेरोजगार. लगती थी ट्रक चालकों की महफिल, रोज होती थी अच्छी कमाई

खैरा-सोनो मार्ग पर बने दर्जनों होटल और ढ़ाबे नारियाना पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद सुनसान पड़ गये हैं. ट्रकों का आवागमन रुक जाने के बाद उक्त मार्ग पर होटल संचालित कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे दर्जनों होटल संचालक अब बेरोजगार हो गये हैं. और अब बस यही कहा करते हैं कि ना जाने अब वो पुराने दिन कब वापस लौटेंगे.
खैरा : शाम होते ही अफरा-तफरी का माहौल बन जाय करता था. जब बड़ी संख्या में ट्रक चालक पहुंचते थे और अलग-अलग भोजन का आर्डर करते थे तब ढाबे पर काम कर रहा छोटू उन आर्डर के अनुसार भोजन बनाने में जुट जाता था. पर खैरा-सोनो मार्ग पर अब यह बातें पुरानी हो गयी. अब ना ही वो होटल खुलते हैं और ना ही उन पर लोगों की भीड़ लगती है. यह माजरा है खैरा-सोनो मार्ग पर बने दर्जनों होटल और ढ़ाबों का जो नारियाना पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद सुनसान पड़ गया है.
ट्रकों के आवागमन रुक जाने के बाद उक्त मार्ग पर होटल संचालित कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे दर्जनों होटल संचालक अब बेरोजगार हो गये हैं. और अब बस यही कहा करते हैं कि ना जाने अब वो पुराने दिन कब वापस लौटेंगे.
नारियाना पुल के क्षतिग्रस्त होने से हुआ यह हाल. खैरा-सोनो मुख्य मार्ग पर बने नारियाना पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने से यह स्थिति पैदा हुई है. बताते चलें कि एनएच-333 ए पर स्थित नरियाना पुल के बीच के एक पिलर के धंस जाने से पुल के मध्य भाग में धंसान हो गया है. जिससे पुल का एक हिस्सा अब यात्रा के लिए खतरनाक हो चुका है. पुल के धंसने की वजह पुल के नीचे प्लेट में दरार पड़ जाना माना जा रहा है. वहीं दरार के नीचे से पिलर में लगा छड़ बाहर आ गया है.
पुल के निचले हिस्से में सीमेंट झड़ कर गिर गया है और एक स्लैब दो भागों में टूट चुका है. आलम यह है कि पुल पर वाहनों के आने-जाने से पुल में जबरदस्त कंपन पैदा हो रहा है. जिसके बाद से पुल के दोनों छोर पर बैरियर लगा कर बड़े वाहनों का आवागमन वर्जित कर दिया गया है. जिसके बाद ही होटल संचालकों की स्थिति दयनीय होने लगी है.
सावन का महीना बना आखिरी उम्मीद. पुल क्षतिग्रस्त होने के उपरांत हाशिये पर पहुंच गये होटल संचालक की आखिरी उम्मीद अब श्रावणी मेले पर टिकी है. इस दौरान देवघर आने जाने वाले वाहनों पर ही अब उनकी उम्मीद टिकी है. परंतु अब श्रावणी मेले में जाने वाली बड़ी वाहनों को भी दूसरे मार्ग का सहारा लेना होगा. जिससे थोड़ी बहुत उम्मीद की किरण ही नजर आती है. पर आलम यह है कि अब उस छोटी उम्मीद के सहारे ही दर्जनो होटल चालक आस लगाए बैठे हैं.
छह साल ही टिक सका पुल
विदित हो कि उक्त पुल का निर्माण सन 2009 में शुरू हुआ था तथा सन 2011 में उस पर आवागमन बहाल किया गया. लेकिन इन पांच सालों में ही पुल की स्थिति दयनीय हो गयी है. जानकार बताते हैं कि उक्त पुल के निर्माण के बाद नदी पार की बड़ी आबादी को जमुई आने जाने में काफी सहुलियत मिली थी. इस पुल के कारण जमुई से सोनो की दूरी लगभग 20 किमी कम हो गयी थी. अपने निर्माण के मात्र छह वर्षों बाद ही पुल की दुर्गति पर स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पुल खैरा के नो इंट्री की भेंट चढ़ गया. क्योंकि इस दौरान ओवर लोडेड ट्रकों की कतार उस पुल पर घंटों खड़ी रहती थी. जिससे उस पुल पर क्षमता से कई गुणा अधिक अतिरिक्त भार पड़ता था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें