मोतिहारी. केविवि के अंग्रेज़ी विभाग के द्वारा 10 व 11 को “शेक्सपियर अनुकूलन ” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता प्रो. भवतोष इंद्र गुरु (सागर विश्वविद्यालय) ने शेक्सपियर के नाटकों और कविताओं के सार की तुलना भारतीय ज्ञान प्रणाली में निहित संदेशों से की. मुख्य अतिथि डॉ. मीता ने शेक्सपियर की स्थायी विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी कृतियाँ आज भी सार्वभौमिक मानवीय भावनाओं के चित्रण के कारण प्रासंगिक बनी हुई हैं. त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू से डॉ. खुम प्रसाद शर्मा ने शेक्सपियर के नाटकों में लिंग परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की, जबकि इंडोनेशिया से डॉ. ए. मैक्सिमिलियन ने साहित्य और भाषा के छात्रों को शेक्सपियर पढ़ाने की रणनीतियों पर विचार प्रस्तुत किए.समापन सत्र में कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि अंग्रेज़ी के छात्र और शिक्षक शेक्सपियर को विशेष रूप से पसंद करते हैं, क्योंकि उनकी रचनात्मकता अद्वितीय है. मानविकी और भाषा संकाय के डीन, प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने बताया कि शेक्सपियर के कार्यों में प्रतीकात्मक और रूपकात्मक तत्व उनकी प्रासंगिकता को बनाए रखते हैं.नागालैंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. एनडीआर. चंद्रा ने एआई के युग में हाइपरटेक्स्ट परिप्रेक्ष्य और शेक्सपियर अध्ययन पर इसके प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि शेक्सपियर का सच्चे प्रेम का विचार एक “ध्रुव तारा ” की तरह अनंत है. डॉ. राजीव कुमार ने शेक्सपियर की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डाला. सांस्कृतिक संध्या के दौरान, छात्रों ने “सपना” नामक नाटक प्रस्तुत किया, जो शेक्सपियर के ओथेलो का रूपांतरण था. इसके अलावा, कथक, सत्त्रिया, भोजपुरी लोकनृत्य और सूफ़ी संगीत में भी शेक्सपियर-थीम आधारित प्रदर्शन किए गए.शेक्सपियर के प्रसिद्ध पात्र “फॉलस्टाफ” को भी भोजपुरी अवतार में प्रस्तुत किया गया. संध्या का मुख्य आकर्षण कवि सम्मेलन था, जिसमें प्रो. बलवंत सिंह, श्री हर्षित मिश्रा और श्री अम्बरीश ठाकुर जैसे प्रसिद्ध कवि शामिल हुए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है