मधुबनी. ग्राम कचहरी में कार्यरत न्यायमित्र व सचिव पिछले कई वर्षों से मासिक फीस बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं. 2015 से अब तक न्यायमित्र मात्र 7 हजार व सचिव को 6 हजार रुपये प्रति माह की दर से भुगतान किया जा रहा है. इस बीच महंगाई व खर्चों में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन न्यायमित्र व सचिव के फीस में कोई संशोधन नहीं किया गया है. हर कैबिनेट की बैठक के पहले न्यायमित्र व सचिवों को उम्मीद होती है कि इस बार फीस में बढ़ोतरी होगी, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगती है. न्यायमित्र संतोष कुमार ठाकुर, अरूण कुमार झा, ललन कुमार झा, सचिव अखिलेश कुमार का कहना है कि ग्राम कचहरी में न्यायमित्र व सचिव गांव के कई छोटे बड़े मामलों को सुगम बनाते हुए आपसी सौहदर्यपूर्ण वातावरण में निपटारा कराते हैं, इसके बावजूद न्यायमित्र व सचिव के फीस वढ़ोतरी की उपेक्षा की जा रही है. न्यायमित्र का कहना है कि जैसे व्यवहार न्यायालय में अभियोजन पक्ष के लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक की फीस समय-समय पर बढ़ाई जाती रही है, वैसे ही न्यायमित्र के लिए भी सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए. 2006 में ग्राम कचहरी का गठन किया गया था. ग्राम कचहरी में सरपंच को कानूनी जानकारी व सलाह के लिए न्यायमित्र व कार्यालय में कागजात संधारण के लिए सचिव की नियुक्ति की गई थी. इस दौरान 2007 में न्यायमित्र को 2 हजार 500 रूपये और सचिव को 2 हजार रुपये से शुरुआत की गई थी. 2015 में सरकार ने न्यायमित्र को 7 हजार रुपये व सचिव को 6 हजार रुपये प्रति माह फीस दी गयी, लेकिन मंहगाई के अप्रत्याशीत बढ़ोतरी के बाद फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है.
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