मधुबनी. स्वास्थ्य विभाग एक ओर मरीजों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए नयी-नयी योजनाओं की शुरुआत कर रही है. वहीं ,उपलब्ध संसाधनों से मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने में फिसड्डी साबित हो रहा है. जिला स्वास्थ्य प्रशासन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड केंद्र है. यहां प्रतिदिन 20-25 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड हो पाता है. जबकि दर्जनों मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए 20-25 दिनों का समय दिया जाता है. विडम्बना यह है, कि सदर अस्पताल मे अल्ट्रासाउंड के लिए एक भी रेडियोलॉजिस्ट पदस्थापित नहीं है. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दो गायनिकॉलोजिस्ट से ही अल्ट्रासाउंड कराया जा रहा है. आलम यह है कि इसमें भी एक महिला डॉक्टर द्वारा महज दो दिन सिर्फ महिला मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया जाता है. विदित हो कि वर्ष 2020 में लाखों रुपए की लागत से सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन लगाया गया. उद्देश्य था अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अन्य सुविधाओं के साथ निःशुल्क अल्ट्रासाउंड सेवा उपलब्ध कराना. लेकिन 5 साल बाद भी इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को आज भी एक महीने का इंतजार करने के बाद नंबर मिल पाता है. विदित हो कि वर्तमान में सदर अस्पताल में पदस्थापित गायनिकॉलोजिस्ट डॉ. सुमन कुमार एवं गायनिक डॉ. नूतन बाला को प्रतिनियुक्त किया गया है. फिर भी प्रतिदिन 20-25 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड किया जाता है. जबकि प्रतिदिन चिकित्सकों द्वारा 40-50 से अधिक मरीजों को अल्ट्रासाउंड प्रिस्क्राइव किया जाता है. इसमें सबसे अधिक संख्या गर्भवती महिलाओं की होती है. सदर, झंझारपुर एवं पंडौल में होता है अल्ट्रासाउंड जिले के 26 स्वास्थ्य संस्थानों में महज तीन संस्थानों सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर एवं रेफरल अस्पताल पंडौल में ही अल्ट्रासाउंड के मरीजों को अब अल्ट्रासाउंड जांच के लिए निजी क्लिनिक या दूरस्थ स्थानों पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी. स्वास्थ्य विभाग ने अनुमंडलीय अस्पताल में ही मरीजों को येन केन प्राकारेण अल्ट्रासाउंड की सुविधा दी जा रही है. जिसके कारण जिले के मरीजों को अल्ट्रासाउंड के इन तीनों संस्थानों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. जब सदर अस्पताल में ही मरीजों को अल्ट्रासाउंड क लिए 20-25 दिनों तक,समय दिया जाता है, तो अन्य संस्थानों की बात कौन कहे. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि मरीजों को अल्ट्रासाउंड सेवा उपलब्ध कराने के लिए बेनीपट्टी और फुलपरास में अल्ट्रासाउंड शुरू करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर में रजिस्ट्रेशन हो गया है. यह सुविधा शुरू होने से ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को समय पर जांच कराने में आसानी होगी तथा इलाज में तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि विभाग का उद्देश्य हर मरीज को अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में ही गुणवत्तापूर्ण जांच और इलाज उपलब्ध हो सके. मोबाइल से क्यूआर कोड स्कैन करने पर मिलेगी दवा की जानकारी सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब यह जानने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा कि कौन सी दवा उपलब्ध है और कौन सी नहीं. जिले के सभी अस्पतालों में क्यूआर कोड के माध्यम से दवाओं की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी. इस पहल के तहत जिला अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में क्यूआर कोड लगाया गया है. मरीज अपने मोबाइल से इस कोड को स्कैन करके यह जान सकेंगे कि अस्पताल में कौन-कौन सी दवाएं उपलब्ध हैं. बता दें कि अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्र के लिए अलग-अलग क्यूआर कोड बनाया गया है. इसे अस्पताल के ओपीडी प्रदर्शित किया गया है. स्वास्थ्य सेवाओं को पारदर्शी बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम है. मरीजों को मुफ्त दवा वितरण की सुविधा का लाभ सही तरीके से मिले, इसके लिए यह तकनीकी पहल की गयी है.
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