मधुबनी. ‘सरकार व प्रशासन जल जीवन हरियाली योजना के तहत भले ही पेड़ लगाने, पर्यावरण संरक्षण के लिये लाख पहल करे, जागरुकता अभियान चलाये, पर खुद प्रशासन ही इस अभियान की धज्जियां उड़ाने पर तुली है. हालात यह है कि शहर के कचरा डंपिंग से बीते एक साल में दो दर्जन से अधिक पेड़ सूख गये, जानकारी रहने के बाद भी न तो नगर प्रशासन इस दिशा में किसी प्रकार की पहल कर रही है न ही कचरा डंपिग होना बंद किया जा रहा. पेड़ सूख जाने के बाद उस पेंड की कटाई हो जाती है. आये दिन कचरा में आग लगा दिये जाने से कई हरे पेड़ भी जल चुके हैं. पर्यावरण को संरक्षित करने के दिशा में सरकार व निजी संगठन लगातार पहल कर रही है तो दूसरी ओर नगर निगम के सफाई ऐजेंसी की लापरवाही से दर्जनों पेड़ सूख चुके हैं. कई सूखने के कगार पर हैं. इसके साथ ही एक ओर से पेड़ सूखता जा रहा है तो दूसरी ओर अज्ञात लोग उस सूखें पेड़ की कटाई भी करते जा रहे हैं. पर एजेंसी को इससे मानों कोई सरोकार ही नहीं है. हर दिन शहर का कचरा पेंड की जड़ों में डंप किया जा रहा है. मामला जगतपुर से सप्ता जाने वाली कोसी बांध किनारे लगे पेड़ों की है. यहां पर रोज कई टन कचरा डंप किया जा रहा है. आस पास के वार्डों से कचरा उठाकर पेड़ों की जड़ो में डंप होने से दर्जन भर से अधिक हरा भरा पेंड सूख चुका है. कई पेंड्े मुरझा गये हैं. पर्यावरण विदों का कहना है कि लगातार कचरा डंप होने के कारण ही पेड़ सूख रहा है. यहां यह बता दें कि यह पेड़ वन विभाग के द्वारा लगाया गया है. नगर निगम में कूड़ा डंपिंग ग्राउंड होने के बाद भी सफाईकर्मी सड़क के किनारे कूड़ा फेंक रहे हैं. इसकी जानकारी नगर निगम को भी है और वन विभाग के अधिकारी को भी. नगर निगम वर्तमान समय में मूसानगर डंपिंग यार्ड तथा हवाई अड्डा के समीप बनाए गए पीट के पास कचरा फेंकने की व्यवस्था की गई है. ट्रैक्टर एवं टिपर द्वारा जो भी कचरा का उठाव होता है उसे मूसानगर डंपिंग यार्ड में डालना है. जबकि ई रिक्शा के माध्यम से उठाए गए कचरा को पीट बिंदु पर रखना है. पर इसके बाद भी खुले में कोसी बांध किनारे कूड़ा फेंका जा रहा है. नगर निगम में 45 वार्ड हैं और प्रतिदिन करीब 45 टन कूड़ा निकलता है. खुले में फेके गए कचरे से उठने वाली भीषण दुर्गंध से जीना दूभर हो गया है. हवा चलने पर गंदगी उड़कर घर पहुंच जाती है. पेड़ पौधे भी सूख रहे हैं. सिटी मैनेजर राजमणि कुमार ने कहा कि निगम के द्वारा कचरा फेंकने के लिए दो जगह चिन्हित किया गया है. सफाई करने वालों को निर्देश दिया गया है कि वह चिन्हित स्थल पर ही कचरा डालें. खुले में कचरा फेंके जाने की सूचना नहीं है. अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी. कचरा प्रदूषण का गंभीर प्रभाव पेड़ पौधों पर होता है: प्रो. अमर महिला कॉलेज के जीव विज्ञान के प्राध्यापक प्रो. अमर कुमार बताते हैं कि कचरा के डी कंपोज्ड होने के कारण वातावरण प्रदूषित होता है. वातावरण प्रदूषित होने पर इसका असर पेड़ पर पड़ता है. उस प्रदूषण में यदि कोई खतरनाक केमिकल होगा तो उसका प्रभाव पेड़ पर पड़ेगा और पेड़ सूखने लगता है. अगर वह पेड़ फलदार होगा तो वातावरण के प्रदूषित होने के कारण उस पेड़ के फल पर भी उस केमिकल का असर पड़ेगा. जिसके खाने से आदमी बीमार होगा. वातावरण में दो बायोपिक फैक्टर होते हैं. एक बायोपिक में पेड़ व जानवर प्रभावित होता है. वहीं दूसरे बायोपिक से वातावरण प्रभावित होता है. जिससे आसपास के वातावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. मामले की होगी जांच इस संबंध में वन विभाग के डीएफओ (दरभंगा रेंज) के नंबर पर लगातार फोन रिंग होने के बाद उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. जिस कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका. मधुबनी के वन रक्षक रामाशीष ने बताया कि इस मामले की जांच की जायेगी. उसके बाद उचित कार्रवाई भी होगी.
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