मधुबनी. आश्विन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. यह मिथिलांचल में कोजागरा के नाम से प्रसिद्ध है. पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा ( कोजागरा) इस बार 6 अक्टूबर सोमवार को मनाया जाएगा, जबकि पूर्णिमा का स्नान-दान 7 अक्टूबर मंगलवार के दिन होगा. मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि का आरंभ 6 अक्टूबर को दिन के 3 बजकर 8 मिनट के बाद होगा और पूर्णिमा तिथि का समापन 7 अक्टूबर को दिन के 4 बजकर 38 मिनट तक होगा. पं. पंकज झा शास्त्री ने कहा है कि इस बार शरद पूर्णिमा पर विशेष उत्तम योग बन रहा है. इस दिन उत्तरा भाद्रपदा और रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इसके अलावे इस दिन वृद्धि और ध्रुव योग भी रहेगा. इस दिन लक्ष्मी प्रतिमा या तस्वीर के पास निष्ठा व आस्था के साथ कनकधारा स्त्रोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए. यह दरिद्रता नाश व धन संचय करने में सहायक होता है. शरद पूर्णिमा पर धार्मिक रूप से धन की देवी लक्ष्मी की पूजा व भगवान कृष्ण की रासलीला का स्मरण किया जाता है. मिथिला में इस दिन को विशेष रूप से कोजागरा के रूप में मनाया जाता है. यह एक लोक पर्व है, जो नवदंपतियों के लिए विशेष होता है. नवविवाहित वर को ससुराल से भेजे गए वस्त्र व आभूषण पहनाया जाता है. माथे पर तिलक व काजल लगाया जाता है. घर के आंगन में एक रंगीन डाला सजाया जाता है. इसमें पान, मखान, नारियल, सुपारी, मिठाई, कौड़ी, वस्त्र, बेंत, छाता और शतरंज जैसी वस्तुएं होती हैं. इसके बाद ससुराल से आए मेहमान दूल्हा के साथ पच्चीसी खेलने की परंपरा बहुत प्रसिद्धि है. खेल के वर को घर के बुजुर्ग या श्रेष्ठ महिलाएं द्वारा चुमाओन किया जाता है एवं दूल्हा से श्रेष्ठ पुरुष वर्ग द्वारा दूर्वाक्षत देकर आशीर्वाद दिया जाता है. चुमाओन एवं दूर्वाक्षत के दौरान महिला वर्ग पारंपरिक गीत गाती है, जो वातावरण में सकारात्मकता पैदा करता है. इसके बाद मेहमानों और समाज के लोगों में मखान और पान का वितरण किया जाता है. इस दिन पान मखान खाने का विशेष महत्व है.
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