मधुबनी.
सरकार की ओर से जिले में आंगनबाड़ी केंद्र तो बना दिए, लेकिन उनमें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. जिले में करीब 5141 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इन केंद्रों में से 2816 पर तो बिजली की व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते नौनिहाल गर्मी व पसीने में कखग सीख रहे हैं. इसी के कारण केंद्रों में बच्चों की संख्या कम हो रही है. वहीं, सबसे बड़ी बात यह है कि उसी कमरे में सहायिका नौनिहालों के लिए खाना भी बनाती हैं. जिसके चलते वहां पर गर्मी और अधिक बढ़ जाती है. जिले में इस समय तापमान 39 पार हो चुका है. ऐसे में अगर इस मौसम में दो मिनट भी लाइट चली जाए तो किसी की भी हालत खराब हो सकती है. लेकिन जिले में कुछ 426 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जहां न तो सही से पेयजल की सुविधा है और अगर लाइट चली जाए तो इनवर्टर आदि की भी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में जिंदगी का पहला पाठ सीखने आए बच्चों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है.खुले में शौच जाने को मजबूर हैं नौनिहाल
जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में से अधिकतर किराये के इमारतों में चल रहे हैं. इन केंद्रों में 1338 केंद्रों में शौचालय तक की सुविधा नहीं है. जिसके कारण बच्चों को खुले में शौच जाना पड़ता है. वहीं, आंगनबाड़ी सेविका का कहना है कि उनके लिए भी काफी समस्या आती है. शौच के लिए आस पड़ोस में स्थित घरवालों से मिन्नत करनी पड़ती है. उसके बाद भी विभाग की ओर से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है.
पंजीकृत बच्चों की संख्या भी कम
जिले में कुल 5141 आंगनबाड़ी केद्र संचालित हैं. इसमें किराये के मकानों में चल रहे केद्र पर सुविधाओं की कमी है. इसकी वजह से कम किराया है. विभाग की ओर से इन किराये के भवनों के लिए मात्र 1000 रुपये दिए जा रहे हैं. इस वजह से यहां पर सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से जानकारी की तो पता चला कि आज बच्चे जल्दी चले गए हैं. खास बात यह है कि ज्यादातर केंद्र पर 24 से ज्यादा बच्चे पंजीकृत नहीं है. इसकी वजह मूलभूत सुविधाएं नहीं होना है. केंद्र पर सुविधा न होने से अभिभावक अपने बच्चे को नहीं भेजते हैं. जबकि इन दिनों आंगनबाड़ी केंद्र का समय सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक का है. इसके बाद भी बच्चों की संख्या कम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है