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Madhubani News : डरा रहा टीबी मरीजों का आंकड़ा, संख्या चार हजार के पार

टीबी उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. फिर भी मरीजों की संख्या में इजाफा जारी है.

मधुबनी. टीबी उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. फिर भी मरीजों की संख्या में इजाफा जारी है. आलम यह है कि जुलाई माह में टीबी मरीजों की संख्या चार हजार पार कर लिया. आंकड़े पर गौर करें तो जनवरी 2025 से मई 2025 तक टीबी के 3326 मरीज चिह्नित किया गया, जो जनवरी 2025 से जुलाई 2025 तक बढ़कर 4000 से अधिक हो गया. टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए विभाग की ओर से यक्ष्मा मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिजनों को ट्यूबरक्लोसिस प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दी जाएगी. इसके तहत आइसोनियाजाइड एवं रिफापेंटिंन की डोज दी जाएगी. इसके लिए पिछले दिनों यक्ष्मा कार्यालय में सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर की अध्यक्षता में टीबी कार्यक्रम की समीक्षा बैठक हुई. बैठक में सभी एसटीएस, एसटीएलएस, सहयोगी संस्था आईआइएच, डीएफवाई एवं डीएफआइटी के प्रतिनिधियों को टीबी से बचाव के लिए नयी दवा के बारे में पीपीटी के माध्यम से जानकारी दी गई. बैठक में टीबी कर्मियों को प्रीवेंटिव टीबी इक्जामिनेशन रेट, टीबी नोटिफिकेशन एवं ट्रीटमेंट आउटकम को लक्ष्य के अनुरूप पूरा करने का निर्देश दिया. विदित हो कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि जिले में हर माह टीबी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर ने कहा कि एमडीआर टीबी मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है. जिले में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण अधिकतर मरीजों द्वारा बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देना है. उन्होंने कहा कि इसके लिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है. इस योजना के तहत मरीजों को गोद लिया जाता है. इसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह से प्रयासरत है. अभी एक दूसरे को जागरूक होने की आवश्यकता है. ताकि टीबी के खिलाफ लड़ाई में आसानी से विजय प्राप्त किया जा सके. बैठक में उन्होंने सभी एसटीएस, एवं एसटीएलएल को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य करने का निर्देश दिया. बैठक में टीबी के नए मामलों की संख्या, उपचार की दर एवं उपचार के परिणामों की समीक्षा की गई. साथ ही टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चल रही गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा की गई. इसमें जागरूकता अभियान, स्क्रीनिंग और उपचार सेवाएं शामिल है. बैठक के दौरान टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की रणनीति पर चर्चा की गई. सीडीओ ने कहा कि जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) पर टीबी स्क्रीनिंग व बलगम संग्रह की सुविधा उपलब्ध है. टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से सघन टीबी खोज अभियान की शुरुआत की जाएगी. इसमें जन प्रतिनिधियों से टीबी मुक्त पंचायत बनाने में सहयोग करने की अपील की गई. जिले में लगातार हो रहा, टीबी मरीजों में इजाफा सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर ने बताया कि जिले में महज 7 माह में जनवरी 2025 से जुलाई 2025 तक टीबी के 4023 मरीज चिन्हित हुआ. इसमें प्राइवेट में 1668 एवं सरकारी संस्थानों में 2355 मरीज चिन्हित किया गया. वहीं जुलाई माह में टीबी के 333 मरीज चिन्हित हुआ, इसमें प्राइवेट में 4 सरकारी संस्थान में 329 मरीज चिन्हित किया गया हैं. इसमे एमडीआर के 16 मरीजों की पहचान की गई है. एमडीआर के मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है. उन्होंने बताया कि राज्य के निर्देशानुसार प्रति 1000 पापुलेशन पर 30 लोगों का टीबी का स्क्रीनिंग करना है. जिले के 16 प्रखंड में ट्रूनट मशीन से टीबी जांच की जा रही है. जिले में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण अधिकतर मरीजों द्वारा बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देना है. इसके लिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है. इस योजना के तहत मरीजों को गोद लिया जाता है. इसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह से प्रयासरत है. सीडीओ ने कहा कि शिक्षा पोषण योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025- 2026 में 30 अप्रैल से 31 जुलाई 2025 तक 4800 मरीजों को डीबीटी के माध्यम से 1 करोड़ 31 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान किया गया है. सरकारी अस्पताल में ही कराएं टीबी का इलाज डीपीसी पंकज कुमार ने कहा कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज, जांच एवं दवा की निःशुल्क व्यवस्था है. सबसे ख़ास बात यह है कि दवा के साथ टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार के लिए प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जाती है. इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर का रुख कर जाते हैं. हालांकि फिर वहां से निराश होकर उन्हें संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों की शरण में ही आना पड़ता है. टीबी के बारे में पता चलने पर सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच करानी चाहिए. जिले में टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जा रही है. है.

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