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Madhubani News : ग्लोबल आयोडीन अल्पता दिवस : अच्छे स्वास्थ्य व सामान्य विकास के लिए आयोडीन युक्त नमक महत्वपूर्ण

ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव विकार दिवस प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है.

मधुबनी. ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव विकार दिवस प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य में आयोडीन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना व इसकी कमी से होने वाले स्वास्थ्य विकारों, घेंघा और थायरॉइड संबंधी समस्याओं के बारे में बताना है. इसका उद्देश्य अच्छे स्वास्थ्य और सामान्य विकास के लिए आयोडीन के महत्व पर प्रकाश डालना, इसकी कमी से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता फैलाना है. आयोडीन की कमी से शारीरिक व मानसिक विकास में बाधा बन सकती है. खासकर बच्चों में. यह दिन सरकारों और लोगों को आयोडीन की कमी को रोकने और प्रबंधित करने के लिए उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसे “वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस ” के नाम से भी जाना जाता है. जिला में 21-27 अक्टूबर तक ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह का आयोजन किया गया है. सदर अस्पताल सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ओपीडी में आने वाले मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं को आयोडीन युक्त नमक के व्यवहार के बारे में जानकारी दी जा रही है. विश्व में आयोडीन अल्पता बचाव दिवस 21 अक्टूबर को मनाया जाता है. वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय घेंघा नियंत्रण कार्यक्रम का नाम बदलकर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम रख दिया गया. इसका उद्देश्य खाने में आयोडीन के महत्व व उपयोगिता के प्रति लोगो को जागरूक करना है. इस दौरान आयोडीन के प्रति जागरूक करने के लिए होर्डिंग व बैनर लगाए गए हैं. शहर के सरकारी कार्यालयों के बाहर आयोडीन की अल्पता से होने वाली बीमारियों की जानकारी होर्डिंग के माध्यम से दिए जाने का निर्देश राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने सीएस को दिया है. ईडी के निर्देश के आलोक में इस दौरान छोटी-छोटी रैली भी निकाली जाएगी. सीएस डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने कहा कि आयोडीन मानव शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है. इसकी कमी से हार्मोन का उत्पादन भी बंद हो सकता है. इससे शरीर के सभी अंग अव्यवस्थित हो सकते हैं. इसकी कमी से होने वाले रोगों में प्रमुख रूप से गलगंड होता है. इसमें गले के नीचे अवटु ग्रंथी में सूजन हो जाती है. गर्भवती महिलाओं में इसकी कमी से गर्भपात भी हो सकता है. इसके अलावा बहरापन, नाटा या बौना कद, अविकसित मस्तिष्क, सीखने और समझने की क्षमता में कमी की समस्या भी होती है. आयोडीन शिशु के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का काम भी आयोडीन करता है. समाज में जागरुकता लाना उद्देश्य सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी आयु वर्ग के लोगों में आयोडीन की कमी से होनेवाली बीमारियों को दूर करना है. साथ ही इस कार्यक्रम के जरिए सिर्फ आयोडीन युक्त नमक के उपयोग के लिए समाज में जागरुकता लाना है. “ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह” के दौरान आयोडीन युक्त नमक के उपयोग एवं इसकी उचित निगरानी किया जाएगा. इसके साथ ही आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं आशा कार्यकर्ताओं का संयुक्त कार्यशाला का आयोजन कर उनकी क्षमता, विकास एवं उन्मुखीकरण किया जाएगा. आयोडीन की कमी से बच्चों के शारीरिक विकास में अवरोध सिविल सर्जन ने कहा कि खाद्य पदार्थों में आयोडीन की प्रचूर मात्रा में उपलब्धता बच्चों के पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. आयोडीन की कमी होने से बच्चों में मंदबुद्धि, घेंघा तथा सामान्य शारीरिक विकास में अवरोध जैसी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. महिलाओं के लिए गर्भावस्था के समय आयोडीन की कमी से गर्भपात जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है. इसकी कमी से जन्म लेने वाला बच्चा मंदबुद्धि हो सकता है. आयोडीन की कमी जन्म लेने वाले बच्चे की मानसिक एवं कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है. मूली, शतावर, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, केला, दूध व समुद्र से पाए जाने वाले आहार से अधिक मात्रा में आयोडीन प्राप्त होता है..

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