मधुबनी. सरकार बाजरा से बच्चों के कुपोषण पर प्रहार करने की पहल शुरू कर दी गयी है. इस दिशा में सरकार ने कई अहम निर्णय लिया है. बताया जा रहा है कि बाजरा का सेवन करने से बच्चों में एनीमिया एवं कुपोषण कम होगा. इस दिशा में सरकारी पहल शुरू हो गयी है. सर्वेक्षण के अनुसार 5 साल से कम उम्र के 38 फीसदी बच्चे अविकसित और 59 फीसदी बच्चे एनीमिक हैं. जो गंभीर समस्या है. इस चुनौती को कम करने व कुपोषण और एनीमिया को कम करने की दिशा में भारत सरकार बाजरा की खपत पर जोर दे रही है. चिकित्सकों की मानें तो बाजरा पोषक तत्वों से भरपूर है. जागरूकता और उपलब्ध नहीं होने के कारण चावल और गेहूं की तुलना में उसकी खपत कम होती है. अब इसको बढ़ावा देने के लिए विभाग ने पहल शुरू की है. इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने संयुक्त रूप से पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है. पत्र के माध्यम से बाजरा की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए छोटे-छोटे वीडियो बनाने का निर्देश दिया गया है. इसे स्कूलों में बच्चों को दिखाया जाएगा. बाजरा के उपयोग एवं खपत पर एचएमसीएस और पीटीएम बैठकों के दौरान चर्चा करने का निर्देश दिया गया है. बाजरा और उसके स्वास्थ्य लाभों को ””””””””समूह चर्चा, बच्चों के बीच वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में जागरूकता फैलाने के लिए”””””””” विषय के रूप में चुने जाने का निर्देश दिया गया है. बाजरा को लोकप्रिय बनाने के महान कार्य में एक साथ काम करें, जो हमारे बच्चों के लाभ के लिए पोषक तत्वों का पावर हाउस है. जो इस राष्ट्र का भविष्य है. बाजरा के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने पर बल पदाधिकारियों द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बाजरा क्षारीय और मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, ट्रीप्टोफैन, फास्फोरस, विटामिन बी, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 में भारत द्वारा प्रायोजित और 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव को अपनाया है. इसमें 2023 को “अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष ” घोषित किया गया था. प्रस्ताव का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन द्वारा चिन्हित कठिन परिस्थितियों में बाजरा के स्वास्थ्य लाभ और खेती के लिए उनकी उपयोगिता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.
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