मधुबनी
. एइएस व जेइ की रोकथाम, प्रसार तथा उपचार को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है. इसके लिए सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. इसके साथ ही प्रखंड स्तर पर आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण दिया गया है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. डीएस सिंह ने कहा कि जिले के शिक्षकों, स्वयं सहायता समूह एवं जनप्रतिनिधियों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की गई है. प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थानों को एईएस किट तैयार रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में पीड़ित मरीजों को तत्काल इलाज के साथ दवा मुहैया कराई जा सके. इसके साथ ही प्रत्येक सीएचसी – पीएचसी में 2-2, सदर अस्पताल एवं अनुमंडलीय अस्पतालों में 5-5 आइसोलेशन बेड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है. ताकि गर्मियों के मौसम में एइएस एवं जेइ के मामलों से बच्चों को सुरक्षित किया जा सके.अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में होते हैं ज्यादातर मामले :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. डीएस सिंह ने कहा कि गर्मियों में बच्चों को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इस मौसम में एईएस एवं चमकी रोग के बढ़ने की संभावना अधिक बनी रहती है. अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है. चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाना चाहिए. इसमें कोताही नहीं बरतनी चाहिए. अस्पताल से घर की दूरी होने पर किराए का एम्बुलेंस लेकर पहुंचे. एंबुलेंस का भाड़ा संबंधित अस्पताल प्रबंधन की ओर से दिया जाएगा.चमकी से बचाव के तरीके :
बच्चों को रात में खाली पेट नहीं सोने दें. बेवजह धूप में नहीं निकलने दें. कच्चे, अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन नहीं करने देंचमकी बुखार व एइएस के लक्षण :
लगातार तेज बुखार रहना, बदन में लगातार ऐंठन होना, दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती चढ़ना, कमजोरी की वजह से बेहोशी आना, चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि चमकी के लक्षण हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है