आधुनिक लघु फिश फीड मिल से प्रतिदिन दो टन मछली चारा होगा उत्पादन
मधुबनी . सीमावर्ती प्रखंड हरलाखी अब औद्योगिक गतिविधियों के नये अध्याय की ओर बढ़ रहा है. यहां जल्द ही एक आधुनिक मछली चारा फैक्ट्री की शुरुआत होने जा रही है. जहां से प्रतिदिन लगभग दो टन चारा का उत्पादन किया जाएगा. यह पहल न केवल मछली पालन को नई ऊर्जा देगी. बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और आर्थिक अवसरों का भी द्वार खोलेगी. इस फैक्ट्री के शुरू होने से न केवल मत्स्यपालन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार का बड़ा साधन भी तैयार होगा. विभाग का मानना है कि अब तक मछुआरों को बाहर से महंगे दामों पर चारा मंगवाना पड़ता था, जिससे लागत बढ़ जाती थी. लेकिन हरलाखी में ही फैक्ट्री खुलने से सस्ता और गुणवत्तापूर्ण चारा आसानी से उपलब्ध होगा. इससे मछली उत्पादन में भी तेजी आएगी. मछली पालन को मिलेगी नई ताकत
उत्तर बिहार के किसानों और मत्स्य व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए यह फैक्ट्री किसी सौगात से कम नहीं है. अब तक मछुआरों को गुणवत्तापूर्ण चारा के लिए बाहर के बाजारों पर निर्भर रहना पड़ता था. इस फैक्ट्री से मिलने वाले ताजे और वैज्ञानिक तरीके से बने चारे से मछली उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद है.
स्थानीय युवाओं के लिए खुलेगा रोजगार का अवसर
फैक्ट्री के संचालन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दर्जनों युवाओं को रोजगार मिलेगा. खासकर उन युवाओं के लिए यह अवसर महत्वपूर्ण साबित होगा जो गांव छोड़कर शहरों में काम की तलाश में भटकते हैं. वहीं यह कदम हरलाखी को मत्स्यपालन के क्षेत्र में एक पहचान भी दिलाएगा. विशेषज्ञों के अनुसार, फैक्ट्री के खुलने से हर साल लाखों रुपये की मछली चारा की आपूर्ति यहीं से होगी. जिससे आसपास के जिलों को भी लाभ मिलेगा. यह पहल हरलाखी को रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई दिशा देने वाली साबित होगा.नेपाल सीमा से सटे इस इलाके में अब तक उद्योग-धंधों की बड़ी संभावनाएं नजर नहीं आती थीं. मछली चारा फैक्ट्री की स्थापना से यहां औद्योगिक माहौल बनेगा और भविष्य में अन्य निवेशकों को भी प्रेरणा मिलेगी. मछली पालन अब सिर्फ तालाबों तक सीमित न रहकर बाज़ार की मांग से जुड़ सकेगा. साथ ही हरलाखी का नाम धीरे-धीरे मत्स्य उद्योग के नक्शे पर चमकने लगेगा.
पर्यावरण और गुणवत्ता पर होगा ध्यान
फैक्ट्री संचालक इरफान आलम का कहना है कि उत्पादन में पर्यावरण संतुलन और गुणवत्ता मानकों का पूरा ध्यान रखा जाएगा. आधुनिक मशीनों से तैयार यह चारा मछलियों की सेहत और तेज़ वृद्धि दोनों के लिए कारगर होगा. यह खबर मत्स्य पालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए नई दिशा दिखायेगी. यह फैक्ट्री हरलाखी के लिए केवल उद्योग की शुरुआत नहीं, बल्कि पहचान की नई किताब का पहला पन्ना होगा. जहां परंपरा और आधुनिकता हाथ थामे चलेंगी. क्या कहते हैं अधिकारीजिला मत्स्य पदाधिकारी अंजनी कुमार ने कहा कि हरलाखी में फिश फीड मिल खुलने से मछली पालन अब सिर्फ तालाबों तक सीमित न रहकर बाज़ार की मांग से जुड़ सकेगा. हरलाखी का नाम धीरे-धीरे मत्स्य उद्योग के नक्शे पर चमकने लगेगा. साथ ही ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
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