मधुबनी.
केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 1990-91 में कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था. वर्ष 1991 के दौरान इस कार्यक्रम को और तेज किया गया. परिणामस्वरूप 1995 में रुग्णता व मृत्यु दर के मामले में कमी आयी. केंद्र सरकार ने एक नयी पहल कर दिसंबर 2003 से कालाजार रोधी दवाओं, औषधियों और कीटनाशकों के अलावे छिड़काव, परिवहन आदि के लिए राज्य सरकारों को 100 प्रतिशत परिचालन लागत का प्रबंधन किया. केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा की और देश से इसके उन्मूलन की व्यवहार्यता की सिफारिश की. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2002) में 2010 तक कालाजार उन्मूलन की परिकल्पना की गई थी. इसे बाद में संशोधित कर 2015 कर दिया गया. इस संशोधन को और आगे बढ़ाकर वर्ष 2023 तक जिले से कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया. परिणाम स्वरुप जिले में कालाजार रोगियों की संख्या में तेजी से गिरावट आयी. जिले में वर्ष 2025 में अभी तक मात्र 3 कालाजार के मरीज प्रतिवेदित हुआ है. अब विभाग ने जिले में कालाजार को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 है.ट्रैक, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति पर विभाग ने किया काम
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने बताया कि जिला कालाजार उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है. केंद्र सरकार ने प्रति 10 हजार की आबादी पर कालाजार के एक से कम मामले का लक्ष्य रखा था. इसे जिला ने प्राप्त कर लिया है. अब जिले में कालाजार मरीज की संख्या को शून्य किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2009 में 730 कालाजार मरीज प्रतिवेदित हुआ था जो अब घटकर 3 रह गया है. डॉ. सिंह ने बताया कि कालाजार खत्म करने के लिए ट्रैक, टेस्ट और ट्रीट रणनीति को समुदाय स्तर पर बेहतर ढंग से लागू किया गया है. इसके तहत वर्ष में 4 बार कालाजार रोगी खोज अभियान चलाया जाता है. इन क्षेत्रों में और अधिक ध्यान केंद्रित करने के साथ गतिविधियों को निरंतर बनाए रखना है. कालाजार मामले को शून्य करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा.वर्ष वार जिले में कालाजार रोगियों की संख्या में गिरावट
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2009 से वर्ष 2025 तक लगातार कालाजार मरीजों की संख्या में कमी आई है. जिले में वर्ष 2009 में 730 मरीज, 2010 में 630, वर्ष 2011 में 538, वर्ष 2012 में 415, वर्ष 2013 में 321, वर्ष 2014 में 256, वर्ष 2015 में 187, 2016 में 108, 2017 में 85, 2018 में 50, 2019 में 31, 2020 में 28, 2021 में 24, 2022 में 26, 2023 में 8, 2024 में 8 तथा 2025 में सितंबर तक सिर्फ 3 मरीज प्रतिवेदित हुआ.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

