मधुबनी. जिला कांग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. शीतलांबर झा ने पूर्व जिलाध्यक्षों की बैठक में मिथिलाराज्य , मैथिली भाषा को संरक्षण के साथ संवर्धन एवं मिथिला के बंद पड़े उद्योगों को अपने एजेंडा में शामिल करने पर बल दिया है. जिससे मिथिला में पार्टी को पुराने शक्ति मिलने का अवसर मिल सके. इस संबंध में एक स्मारपत्र प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार राम एवं बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को सौंपा है. प्रो. झा ने अपने स्मारपत्र में कहा है कि मिथिला क्षेत्र सदैब से कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. आए दिन बिहार पार्टी के बड़े नेताओं के उदासीन एवं कार्यकर्ताओं से दूरी के कारण हम मिथिला क्षेत्र में आज कमजोर हुए हैं. पार्टी की ओर से इन मुद्दों को अपने एजेंडा में प्रखरता से लेती है तो कोई कारण नहीं जो हम फिर से मिथिला में एक मजबूत दल के रूप में फिर से न उभरे. प्रो झा ने कहा है जब देश में भाषा के आधार पर छोटे छोटे छोटे राज्य का निर्माण किया जा रहा है तो मिथिला को भी चौमुखी विकास के लिए एकमात्र निदान मिथिला राज्य है. प्राइमरी शिक्षा में मैथिली को शामिल करना, मैथिली शिक्षकों की बहाली, मैथिली पुस्तकें की छपाई बंद है. जब बिहार में कांग्रेस की सरकार थी तो सरकारी स्कूलों में हिंदी , मैथिली एवं उर्दू अनिवार्य विषय के रूप में शामिल था जिसे नीतीश बीजेपी सरकार ने 2008 मैथिली भाषांकों हटाकर बंगला भाषा को शामिल कर दिया. जो मिथिलावासियों का अपमान है जिसे पुनः शामिल करना , सीबीएससी में मैथिली भाषा को शामिल करना , बीपीएससी में मैथिली भाषा को अप्रासंगिक मात्र एक सौ अंकों में सीमित कर दिया गया. उन्होंने मिथिला क्षेत्र के बंद पड़े उद्योगों पंडौल , सकरी , लोहट चीनी मिलें , पंडौल का सुता फैक्ट्री , गुलकोज एवं चमड़ा उद्योग, अशोक पेपर मिल , जुट मिल को पुनः चालू करने के दिशा में जोरदार पहल करने, मिथिला के प्रसिद्द मखान , मछली एवं मिथिला पेंटिंग आधारित उद्योगों पर पहल , मिथिला क्षेत्र में आई आई एम , आई आई टी एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना , बाढ़ एवं सुखाड़, दरभंगा को बिहार के द्वितीय राजधानी घोषित करना , हाईकोर्ट की एक बेंच दरभंगा में खोलना पर यदि पार्टी मुखर आवाज बनती है तो पार्टी को काफी मजबूती मिलेगी.
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