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Madhubani News : अलग बनेगा मिथिलाराज तभी होगा सर्वांगीन विकास: शीतलांबर

प्रो. शीतलांबर झा ने पीएम के आगमन से पूर्व पृथक मिथिलाराज एवं मिथिला के विभिन्न 22 सूत्री मांग जिलाधिकारी के माध्यम से पीएम से की है.

मधुबनी. मैथिल समाज रहिका के महासचिव प्रो. शीतलांबर झा ने पीएम के आगमन से पूर्व पृथक मिथिलाराज एवं मिथिला के विभिन्न 22 सूत्री मांग जिलाधिकारी के माध्यम से पीएम से किया है. प्रो. झा ने अपने स्मारपत्र में मिथिला के सभ्यता , संस्कृति ,विद्वता एवं आध्यात्मिक चर्चा करते हुए कहा है कि आदिकाल से मिथिला सदा से समृद्ध रही है. प्राचीनकाल में राजा विदेह राजा जनक हुए हैं. एक से बढ़कर एक मनीषियों कपिल , कणाद , गौतम , याज्ञवल्क्य, ज्योतिश्वर ठाकुर , वाचस्पति, उदयन , गंगेश , अयाची , शंकर , कालिदास , विद्यापति एवं वीर लोरिक , राजा सल्हेश , दिनाभद्री ने आध्यात्मिक चिन्तन एवं शिक्षण से विश्व को मानवता को आलोकित किया है. मिथिला लोककला , चित्रकला एवं माछ और मखान से विश्व विख्यात है. आजादी आंदोलन में भी मिथिला क्षेत्र के लोगों का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में तत्कालीन लोगो ने अपना बलिदान तक देश के लिए दिया था. आजादी के तुरंत बाद सर्वप्रथम मिथिला केसरी बाबू जानकी नंदन सिंह ने पृथक मिथिलाराज की मांग को उठाया था. इसके लिए संघर्ष भी हुआ था. आज भी मिथिला क्षेत्र से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक मिथिलाराज को लेकर धरना प्रदर्शन होता रहा है. मिथिला के सभ्यता , संस्कृति एवं विद्वता समृद्धि रहते हुए भी मिथिला क्षेत्र देश के अन्य क्षेत्रों से पीछे एवं अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर है.यहां के लोग कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ से परेशान हैं. जबकि मिथिला क्षेत्र के भूभाग में अनेकों उद्योग था जो आज भी बंद पड़ा हुआ है. मातृभाषा मैथिली शासन प्रशासन से उपेक्षित है. रोजगार का घोर अभाव है. उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थान आज भी मिथिला क्षेत्र में नहीं है. राष्ट्रीय औसत आय से मिथिला क्षेत्र के लोगों का आय अत्यधिक कम है. साथ ही विकास काम भी न के बराबर हो रहा है. इसलिए इन समस्याओं का एकमात्र निधान है ब्रिटिशकाल में मधुबनी के तत्कालीन अनुमंडल अधिकारी जार्ज अब्राहन ग्रियर्सन के मिथिला क्षेत्र का नक्शा के आधार पर पृथक मिथिलाराज का मांग सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है. उन्होंने मिथिला क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं रेलवे का विस्तारीकरण, मिथिला विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा सहित स्व. ललित नारायण मिश्रा को भारत रत्न से सम्मानित करने का आग्रह करते हुए मिथिला के चौमुखी विकास के लिए मिथिलाराज निर्माण के दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया.

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