मधुबनी. जिले में 28 दिसंबर तक कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है. मौसम विभाग के अनुसार्र फरवरी तक लानीना का प्रभाव रहने का अनुमान है. पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों पर हो रहा है. बीते छह दिनों से जिला में पछिया हवा के कारण कनकनी है. बर्फीली पछुआ हवा के कारण जिले में कोल्ड डे की स्थिति बनी हुई. दिन और रात के समय एक जैसी सर्दी पड़ रही है. कुहासा के कारण मंगलवार को नई दिल्ली जयनगर स्वतंत्रता सेनानी सुपर फास्ट एक्सप्रेस तय समय से 10 घंटे विलंब होकर बुधवार की सुबह 4:30 बजे पहुंची. ग्रामीण कृषि मौसम सेवा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 28 दिसंबर तक मौसम में विशेष बदलाव की संभावना नहीं है. इस बार लानीना की स्थिति के कारण ठंड बढ़ने के आसार हैं. ऐसे में फरवरी तक ठंड का असर बने रहने की संभावना है. सुबह में पछिया हवा के कारण लोगों को बुधवार को भी ठंड से राहत नहीं मिली. ठंड एवं कुहासा के कारण सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या भी काफी कम रही. जहां सामान्य दिनों में ओपीडी में 600 -700 मरीज इलाज के लिए आते हैं. वहीं, बुधवार को महज 315 मरीजों का ही पंजीकरण किया गया. इसमें सबसे अधिक मरीज सर्दी, खांसी, बुधवार, दमा व बीपी के मरीज शामिल थे. मौसम वेधशाला पूसा से मिली जानकारी अनुसार बुधवार को अधिकतम तापमान 16.8 एवं न्यूनतम तापमान 10.4 डिग्री सेल्सियस रहा. हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बाद भी चौक चौराहे पर लोगों का आना-जाना पूर्व की भांति ही जारी रहा. ठंड के कारण नगर निगम द्वारा निगम सहित विस्तारित 45 वार्डों में से 22 वार्डों में ही अलाव की व्यवस्था की गई है. हालांकि घोषणा भी कागजों में ही सिमट कर रह गया है. सार्वजनिक स्थलों पर कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं है. ठंड के बाद भी मजदूर अपने-अपने काम पर लगे रहे. बीपी के मरीज रखें अपना विशेष ख्याल सदर अस्पताल में गुरुवार को 315 मरीजों का पंजीकरण किया गया. इसमें सबसे अधिक 95 मरीजों का मेल ओपीडी में डॉक्टर द्वारा इलाज किया गया. इसके अलावा आर्थो ओपीडी में 75 मरीजों का इलाज डॉक्टर फैजुल हसन, गायनिक ओपीडी में 65 मरीजों का इलाज डॉ. भावना गुरुंग, चाइल्ड ओपीडी 35 बच्चों का इलाज शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके झा ने किया. डॉ. फैजुल हसन ने कहा कि ठंड में दमा व ब्लड प्रेशर के मरीज अत्यधिक प्रभावित होते हैं. इसका मुख्य कारण सांस लेने वाले ग्रंथियों में सांस का अवरुद्ध होना है. ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर के मरीज का ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता है. जिसका मुख्य कारण नसों में सिकुड़न होता है. ऐसे में हार्ट अटैक के मरीज की संख्या में बढ़ोतरी का कारण हर्ट को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन का नहीं मिलना होता है. इन बीमारी से ग्रसित मरीजों को दवा का नियमित सेवन करना चाहिए. कोल्ड एक्सपोजर से भी ऐसे मरीज को बचना चाहिए. कोल्ड एक्सपोजर के कारण ब्लड प्रेशर के मरीज पैरालाइसिस के शिकार हो सकते हैं. सर्दी के मौसम में सबसे अधिक बचाव कोल्ड एक्स्पोजर से करना है. इसके साथ ही खानपान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
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