मधुबनी
. नगर निगम क्षेत्र में व्यापारियों के लिए ट्रेड लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया लापरवाही व उदासीनता के कारण ठप है. आश्चर्य की बात यह है कि नगर निगम की अपनी दुकानों में कारोबार करने वाले अधिकांश व्यापारी भी अभी तक ट्रेड लाइसेंस नहीं ले पाए हैं. निगम की 310 दुकानें हैं, लेकिन निगम प्रशासन की सुस्ती के कारण इन दुकानों के अलावे अन्य सैकड़ों दुकानदार लाइसेंस से वंचित हैं. शहर में लगभग 10 हजार छोटे-बड़े व्यवसायी हैं. इन्हें लाइसेंस देने से प्रतिवर्ष एक करोड़ से अधिक की आमदनी हो सकती है. निगम के इस राजस्व की सालाना क्षति हो रही है. ट्रेड लाइसेंस संचिका प्रभारी सुरेश भंडारी ने कहा कि ट्रेड लाइसेंस लेने वालों की संख्या नहीं बताया जा सकता है. कारण इससे संबंधित मामले लोक शिकायत में चल रहा है. इसलिए इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं.ट्रेड लाइसेंस के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं
व्यवसायियों ने बताया कि वे बार-बार आवेदन और आवश्यक दस्तावेज जमा कर रहे हैं. लेकिन निगम कार्यालय में उन्हें इधर-उधर दौड़ाया जा रहा है. कई बार चक्कर लगाने के बावजूद न तो उनका लाइसेंस जारी हो रहा है और न ही प्रक्रिया की कोई स्पष्ट समय सीमा बतायी जा रही है. स्थानीय दुकानदारों ने कहा कि निगम से संबंधित कर्मी या तो फाइल लंबित रख देते हैं या फिर बहाना बनाकर आवेदकों को टाल देते हैं.वैध संचालन के लिए ट्रेड लाइसेंस जरूरी
नगर निगम अधिनियम के अनुसार सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को वैध रूप से संचालित करने के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है. इसके बिना न केवल व्यवसाय गैरकानूनी श्रेणी में आता है बल्कि निगम को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है. बावजूद निगम की ओर से गंभीरता नहीं दिखायी जा रही है. वरीय अधिवक्ता आरआर झा ने कहा कि इस मामले में सीधे राजस्व की क्षति हो रही है. ट्रेड लाइसेंस के लिए प्रक्रिया सहज हो जाए तो 80 फीसदी व्यवसायी खुद इसे लेंगे, लेकिन यहां पर कर्मियों की उगाही की कार्यसंस्कृति के कारण ट्रेड लाइसेंस को टाला जाता रहा है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए नगर निगम को निर्देश दिया है कि लंबित सभी मामलों की फाइलों की जांच कर आवेदकों को शीघ्र लाइसेंस जारी करें. आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि अनावश्यक देरी करने वाले कर्मियों की जवाबदेही तय की जाए और प्रक्रिया में पारदर्शिता लायी जाए.
क्या कहते हैं अधिकारी
महापौर अरुण राय ने कहा कि इस मामले में शीघ्र ही सशक्त स्थायी समिति व बोर्ड में निर्णय लिया जायेगा. ताकि निगम की आमदनी बढ़ायी जा सके. वहीं, इससे व्यवसायियों को भी अपने कारोबार के विस्तार व तकनीकी कार्यों में काफी लाभ होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

