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Madhubani News : जिले के 71 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित

किशोर-किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं में रक्त-अल्पता या एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है.

मधुबनी.

किशोर-किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं में रक्त-अल्पता या एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. एनीमिया बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सबसे बड़े अवरोधक का काम करता है. कम आयरनयुक्त आहार का समावेश एवं सेवन तथा अन्य बढ़ती शारीरिक आवश्यकताओं के कारण गर्भवती महिलाओं एवं किशोर किशोरियों में एनीमिया से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है.

जिले में गर्भवती महिलाओं व 10 से 19 उम्र वर्ग के किशोर-किशोरियों को एनीमिया से मुक्त करने के उद्देश्य से एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम चलाया जा रहा है. एनीमिया जांच के लिए नई तकनीक का उपयोग करते हुए डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर के माध्यम से अधिक से अधिक किशोर-किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं की हिमोग्लोबिन जांच की जा रही है. कार्यक्रम के लिए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर विजय प्रकाश राय ने गर्भवती महिलाओं एवं किशोर किशोरियों का हीमोग्लोबिन मीटर से आरबीएस की टीम से जांच करने का निर्देश दिया है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019 -20) के अनुसार जिले में 6 से 59 महीने आयु वर्ग के 71 प्रतिशत बच्चे रक्त अल्पता के शिकार हैं. इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. चिंताजनक बात यह है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015 -16) में इस आयु वर्ग के बच्चों में रक्त अल्पता का प्रतिशत 63 था और यह जिले में बच्चों के सेहत और पोषण की दुर्भाग्यपूर्ण तस्वीर प्रस्तुत करता है. इसका तत्काल प्रबंधन आवश्यक है.15 से 49 वर्ष की 61 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं. 15 से 19 वर्ष तक की 69.2 प्रतिशत किशोरी एनीमिया से ग्रसित हैं. सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने बताया कि बच्चों के कुपोषण दर में प्रतिवर्ष 2 फ़ीसदी एवं किशोरी व महिलाओं की एनीमिया दर में प्रतिवर्ष 3 फ़ीसदी कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है.

जांच के लिए कलर स्केल का किया जाता रहा है उपयोग

जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास ने बताया कि एनीमिया की शीघ्र और सटीक जांच के लिए स्ट्रिप आधारित डिजिटल हिमोग्लोबिनोमीटर मशीन से जांच की जा रही है. हिमोग्लोबिन या एनीमिया की जांच के लिए वर्तमान में कलर स्केल का उपयोग किया जाता रहा है. इस प्रक्रिया में समय अधिक लगने एवं बेहतर जांच परिणामों के लिए डिजिटल मशीन के द्वारा एचबी की जांच की जाती है. डिजिटल हिमोग्लोबिनोमीटर के लिए लैब टेक्नीशियन या लैब की जरूरत नहीं होती है. महज एक बूंद खून से इस डिजिटल हिमोग्लोबिनो मीटर के माध्यम से 10 सेकंड के अंदर हिमोग्लोबिन स्तर का पता लगाया जाता है.

टेस्ट, ट्रीट एंड टॉक पर काम करना है मुख्य उद्देश्य

डिजिटल हिमोग्लोबिनो मीटर मशीन से जांच का मुख्य उद्देश्य टी – 3 पर काम करना है. टेस्ट मतलब एनीमिया की जांच, ट्रीट का मतलब कोई कमी पाए जाने पर इसका ऑन स्पॉट इलाज करना. टॉक मतलब इसके बारे में काउंसलिंग करना और व्यवहार में बदलाव को लेकर बातचीत करना है. सिविल सर्जन ने बताया कि छह माह से 59 माह के बच्चों में सात ग्राम से कम एचबी, पांच साल से 14 साल के बच्चों में आठ ग्राम से कम एवं गर्भवती महिलाओं में सात ग्राम से कम खून होने पर गंभीर एनीमिया माना जाता है.

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