मधुबनी : सदर अस्पताल के एसएनसीयू में स्वास्थ्य विभाग ने चार नये रेडियेंट वारमर मंगलवार को उपलब्ध कराया. जिसके बाद एसएनसीयू में वार्मर की संख्या 16 हो गयी, पर एसएनसीयू के निर्माण के तीन वर्ष बाद भी भर्ती नवजात के माता व उनके परिजनों के रहने के लिए मदर शेड अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया. जिसके कारण भर्ती नवजात के माता व परिजन खुले आसमान व कचड़े में बैठने को मजबूर हैं. और विभागीय पदाधिकारी द्वारा हमेशा इसके जवाब में वरीय पदाधिकारी सहित विभाग को पत्र लिखने बात दोहराया जाता है.
नवजात की माता को ब्रेस्ट फिडिंग व अन्य जरूरतों के लिए समय समय पर बुलाया जाता है. जबकि वे खुले आसमान में ही बैठकर पुन: एसएनसीयू में जाते है. जिसके कारण भर्ती नवजात में संक्रमण होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
क्षमता से अधिक नवजात भर्ती
एसएनसीयू की स्थापना वर्ष 2016 में की गयी थी. जिसमें इन वोर्न के लिए 6 तथा आउड वोर्न नवजात के लिए 6 कुल 12 रेडियेंड वारमर स्थापित किया गया था. नवजात को भर्ती करने के लिए व्यवस्था तो की गयी. लेकिन उनकी माता व परिजनों के ठहरने के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं की जा सकी.
हालांकि एसएनसीयू में व्रेस्ट फीडिंग के लिए कंगारू मदर केयर की स्थापना तो हुई. लेकिन उसमें लगे बेड की संख्या भर्ती नवजात के विरुद्ध काफी कम है. जिसके कारण इन वोर्न भर्ती नवजात की माता के लिए प्रसव कक्ष में बेड उपलब्ध होता है. लेकिन आउट वोर्न नवजात के माता को बाहर में ही अपना समय बिताना पड़ता है.
छह लो वर्थ के भर्ती हैं बच्चे. एसएनसीयू में मंगलवार को 18 नवजात एसएनसीयू में भर्ती किया गया. 12 रेडियेंट वारमर के विरूद्ध कई वार्मर में दो- दो नवजात को रखा गया. 18 नवजात में 6 लो बर्थ, 2 जौंडिस व 10 नवजात वर्थ एसफेक्सिया के शामिल रहे. जिसमें तीन नवजात को बुधवार को डिस्चार्ज किया गया.
एसएनसीयू सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 12 वार्मर में से एक वार्मर खराब है. जिसे बनाने के लिए अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखा गया है. वर्तमान में एसएनसीयू में 15 वारमर कार्यरत है. ऐसे में यदि गंभीर बीमारी से ग्रसित नवजात की भर्ती होता हे तो फिर वही एक वारमर में दो नवजात को रखने की मजबूरी होगी.
सीएस डा. मिथिलेश झा ने बताया कि विभाग द्वारा एसएनसीयू में 4 नये वार्मर की आपूर्ति की गयी है. जिससे की क्षमता से अधिक भर्ती नवजात को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके. वहीं मदर शेड के निर्माण के लिए विभाग द्वारा आवंटन प्राप्त होने पर निर्माण किया जायेगा.