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खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्वयंसेवक को मिला सम्मान

खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्वयंसेवक को मिला सम्मान

मधेपुरा.

राष्ट्रीय खेल दिवस पर शुक्रवार को राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यालय में खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्वयंसेवक कर्ण सिंह को सम्मानित किया गया. मौके पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि कोसी क्षेत्र के युवाओं में काफी प्रतिभा है. इन्हें समुचित अवसर व सही मार्गदर्शन मिले, तो वे सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में एनएसएस को और अधिक सक्रिय किया जायेगा. इसके सभी कार्यक्रमों में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार दिया जायेगा. कर्ण सिंह ने बताया कि वे पिछले दो वर्षों से एनएसएस के स्वयंसेवक हैं और कई प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने बताया वे विश्वविद्यालय स्तरीय योग प्रतियोगिता-2024 में प्रथम, मार्शल आर्ट-2022 व 2024 में प्रथम तथा वूशू-2025 में प्रथम स्थान प्राप्त पर रहे हैं. गत वर्ष उन्होंने कटक (उड़ीसा) में आयोजित अंतर विश्वविद्यालय हॉकी प्रतियोगिता में भी विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए बेहतर प्रदर्शन किया था. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद उनके आदर्श हैं. इस अवसर पर कार्यालय सहायक तहसीन अख्तर आदि उपस्थित थे.

शैक्षणिक परिसर में भी संचालित होंगी एनएसएस की गतिविधियां

मधेपुरा.

राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की गतिविधियां विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर अवस्थित स्नातकोत्तर विभागों में भी संचालित की जायेगी. इसके लिए स्नातकोत्तर विभागों में एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी की नियुक्ति की जायेगी. कुलपति प्रो बीएस झा ने निदेशानुसार कुलसचिव प्रो अशोक कुमार ठाकुर एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने सभी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों को पत्र प्रेषित किया है. पत्र में अनुरोध किया गया है कि कार्यक्रम पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए शिक्षकों का पैनल उपलब्ध कराया जाय.

डॉ शेखर ने बताया कि एनएसएस की शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सौंवें जयंती वर्ष पर 1969 में शैक्षणिक परिसर एवं समुदाय के बीच एक सार्थक संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से की गयी थी. गांधी ने माना था कि जब तक छात्र-युवाओं को समुदाय के उत्थान के लिए प्रेरित नहीं किया जायेगा. तब तक देश वांछित दिशा में प्रगति नहीं कर सकता. अतः संप्रति वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाने के लिए एनएसएस की सक्रिय सहभागिता अपेक्षित है. इसमें कार्यक्रम पदाधिकारी की महती भूमिका होती है.

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम पदाधिकारी छात्र-छात्राओं के लिए एक मित्र, दार्शनिक व मार्गदर्शक होता है. वह युवाओं को आवश्यक नेतृत्व प्रदान करता है और वह सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्व विकास में मदद करता है. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम पदाधिकारी का चयन केवल शिक्षण संकाय के सदस्यों में से ही किया जायेगा. इसमें ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता दी जायेगी, जिनकी प्रेरणा, रुचि व सामुदायिक कार्य के प्रति उच्च स्तर का समर्पण हो.

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