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वंदे मातरम मात्र एक गीत नहीं, यह देशभक्ति का मंत्र है : कुलपति

वंदे मातरम मात्र एक गीत नहीं है, बल्कि यह देशभक्ति का मंत्र है. इसके साथ देश की आजादी का संघर्ष और इसके नवनिर्माण का सपना जुड़ा हुआ है.

कुलपति की अध्यक्षता में वंदे मातरम का सामूहिक गायन संपन्न मधेपुरा. वंदे मातरम मात्र एक गीत नहीं है, बल्कि यह देशभक्ति का मंत्र है. इसके साथ देश की आजादी का संघर्ष और इसके नवनिर्माण का सपना जुड़ा हुआ है. यह बात कुलपति प्रो बीएस झा ने कही. वे शुक्रवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित सामूहिक गायन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन प्रशासनिक परिसर अवस्थित कुलपति कार्यालय के बगल में नवनिर्मित सिंडिकेट हॉल में किया. कुलपति ने बताया कि ””वंदे मातरम्’ की रचना बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चंद्र चटर्जी ने सात नवंबर, 1875 को की. इसमें मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि व दिव्यता के प्रतीक के रूप में याद किया है. इसने करोड़ों भारतवासियों को प्रेरित किया व यह गीत भारत की एकता व राष्ट्रीय गौरव का जीवंत प्रतीक बन गया. यह भारत माता के प्रति भक्ति और श्रद्धा है. उन्होंने बताया कि ””वंदे मातरम्”” सन् 1882 में बंकिम के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सम्मिलित हुआ. इसे सर्वप्रथम 1896 में गाया गया. दिसंबर 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गीत को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया गया. कुछ ही दिनों बाद बंग भंग आंदोलन में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बना. सन् 1950 में ‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय गीत और ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय गान बना. उन्होंने बताया कि ””वंदे मातरम्”” गीत ने देश की आजादी में महती भूमिका निभाई है. इसका जयघोष करते हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानी ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चुम लिया. आज भी यह हमें प्रेरित करता है. यह गीत हमें अपने गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है, हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देता है और भविष्य में एक नए साहस का संचार करता है. छात्र कल्याण अध्यक्ष प्रो अशोक कुमार सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् का गायन एक सुखद एहसास है. इससे हमारे अंदर सकारात्मक उर्जा का संचार होता है. यह हमारे अंदर यह विश्वास पैदा करता है कि किसी भी संकल्प व लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है. राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि सामूहिक गायन कार्यक्रम का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम व राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को उजागर करना है. इससे युवाओं में राष्ट्रप्रेम का संचार होगा और देश की एकता-अखंडता को भी मजबूती मिलेगी. उन्होंने बताया कि बीएनएमयू के विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों और महाविद्यालयों में भी हर्षोल्लास के साथ राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन किया. सभी जगहों से प्रतिवेदन प्राप्त हो रहा है. सोमवार को विश्वविद्यालय की ओर से समेकित प्रतिवेदन शिक्षा विभाग, बिहार सरकार को प्रेषित किया जायेगा. इस अवसर पर उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ विवेक कुमार, उप कुलसचिव (पंजीयन) डॉ अशोक कुमार सिंह, पीआईओ डॉ प्रफुल्ल कुमार, परिसंपदा पदाधिकारी शंभू नारायण यादव, अमित कुमार, राहुल रंजन, विनय कुमार सिंह, डॉ. फिरोज मंसूरी, डॉ. चन्द्रधारी यादव, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. शैलेश यादव, डॉ राम सिंह यादव, डॉ अंजू प्रभा, प्रियांशु, सुभाष कुमार, ललन कुमार, कुमारी शिवानी, प्रिया, प्रिया राज, अंजली कुमारी, अंशु रानी, नेहा कुमारी, अभिमन्यु कुमार, रोबिन कुमार, शिवम कुमार, सौरभ कुमार चौहान, संतोष कुमार आदि उपस्थित थे.

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