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आपदा-विपदा से बचाव के लिए दस दिनों से चल रही पूजा संपन्न

पहली पूजा से चलने वाली पूजा का समापन रविवार रामनवमी को हवन एवं 101 कुंवारी कन्याओं को खीर भोजन करा संपन्न हुआ.

-हर घर से बनकर आता है पार्थिव महादेव, प्राण प्रतिष्ठा कर विधि-विधान से होती है पूजा- -101 कुंवारी कन्याओं को कराया गया भोजन भी- ग्वालपाड़ा प्रखंड के नोहर ब्रह्मस्थान में चैती नवरात्र के पहले दिन से ही पार्थिव महादेव की पूजा की जाती है. इस अवसर पर प्रत्येक परिवार की महिलाओं द्वारा मिट्टी से निर्मित पार्थिव महादेव बनाकर ब्रह्मस्थान में भेजा जाता है, जहां पं मदन मोहन झा द्वारा संध्या में फलाहार कर श्रद्धापूर्वक विधि विधान से पार्थिव महादेव की पूजा की जाती है. पं हरिवल्लव ठाकुर, पं बीरेंद्र ठाकुर, अमरकांत झा, चंडी ठाकुर, पं अशोक ठाकुर, पं प्राणमोहन झा, पं इंद्रकांत झा, पं बिपिन, ललन झा, अनिल ठाकुर, गोपीकांत झा, विजय मिश्र, पं अजीत झा, ध्रुव कुमार व अन्य ने बताया कि गांव समाज की रक्षा एवं आपदा विपदा से बचाव के लिए पूर्वजों के समय से ही पार्थिव महादेव में प्राण प्रतिष्ठा कर विधि विधान से पूजा अर्चना करने की प्रथा चली आ रही है. पहली पूजा से चलने वाली पूजा का समापन रविवार रामनवमी को हवन एवं 101 कुंवारी कन्याओं को खीर भोजन करा संपन्न हुआ. प्रसाद गांव के प्रत्येक परिवार में भी भेजा जाता है. बताया कि जब तक पूजा समाप्त नहीं होती है, तब तक प्रत्येक परिवार में कम से कम एक सदस्य उपवास करते हैं. हालांकि इस परंपरा का निर्वहन अब गिने चुने परिवारों में ही हो रहा है. लेकिन दस दस दिनों तक गांव के सभी परिवारों में लहसुन और प्याज का व्यवहार अभी भी वर्जित रहता है. दस दिनों तक चलने वाली इस पूजा अर्चना से गांव का वातावरण भक्तिमय रहता है. ब्रह्म बाबा की कृपा से गांव खुशहाल है.

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