मधेपुरा. वीमेंस कॉलेज मधेपुरा में बिहार दिवस को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का विषय कल, आज और कल था. कार्यक्रम का उद्घाटन श्री कृष्णा विश्वविद्यालय उदाकिशुनगंज के कुलपति डॉ अशोक कुमार, बीएनएमयू के पूर्व कुलानुशासक प्रो बीएन विवेका, पीजी सेंटर सहरसा के हिंदी विभाग प्रो सिद्धेश्वर कश्यप व बीएनएमयू के सिंडिकेट सदस्य मेजर गौतम कुमार व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जुली ज्योति ने किया. प्राचार्य ने अंग वस्त्र, पाग, डॉयरी, बैग व गुलदस्ता से अतिथियों का स्वागत किया गया. महाविद्यालय की सहायक प्राचार्य आरती कुमारी ने स्वागत गीत व जय श्री द्वारा बिहार दिवस आधारित गीत प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम का मंच संचालन ईसा असलम ने किया. संस्कार व रहन-सहन पर दिख रहा है भौतिकता के बोल-बाला का असर श्री कृष्णा विश्वविद्यालय उदाकिशुनगंज के कुलपति डॉ अशोक कुमार ने कहा कि बीते हुए कल में सीमित संसाधन के बाद भी हमारे पूर्वजों ने बिहार की प्रतिष्ठा को अपने बल-बूते से आगे बढ़ने का काम किया है. हमारे पूर्वजों के बदौलत ही बिहार संत-मुनियों, तपस्वी व ऋषियों का केंद्र बिंदु रहा है. प्राचीन कालीन रामायण की गाथा अतीत के बिहार से आरंभ हुई और महाभारत की गाथा व कथा में बिहार के भूमि की भी झलक मिलती है. वर्तमान में भौतिकता का बोल-बाला हो गया है, जिसका असर हमारे संस्कार व रहन-सहन पर दिख रहा है. इस कारण से वैश्विक दृष्टिकोण से हम बहुत विकसित नहीं माने जाते हैं, लेकिन हमें विश्वास है कि आने वाला जो कल है वह इन मामलों में भी अव्वल होगा और हम संपूर्ण भारत के प्रतिनिधित्व का केंद्र बिंदु बन जायेंगे. बिहार अपनी बीती हुई अस्मिता को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत बीएनएमयू के पूर्व कुलानुशासक प्रो बीएन विवेका ने कहा कि हम निश्चित रूप से बिहार के गौरवशाली अतीत को तब हासिल कर सकते हैं, जब हम वर्तमान समय को पूरी ईमानदारी से जियेंगे. उन्होंने कहा कि वर्तमान थोड़ी देर बाद भूत व वर्तमान की नींव पर भविष्य निर्भर रहता है. पीजी सेंटर सहरसा के हिंदी विभाग प्रो सिद्धेश्वर कश्यप ने कहा कि आज हमारा बिहार लगातार अपनी बीती हुई अस्मिता को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है. हम बिहारी अपने क्रियाकलाप, कार्यकुशलता व शिक्षा के बदौलत ही, भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में हम अपना परचम लहराते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा बिहार ऋषिमुनियों का रहा है. हमारा बिहार आर्यभट्ट का बिहार भी है. बिहार अपने गौरवशाली इतिहास को दोहराने के लिए लगातार प्रयासरत बीएनएमयू के सिंडिकेट सदस्य मेजर गौतम कुमार ने कहा कि बिहार अस्तित्व में आने से पहले बंगाल प्रेसीडेंसी में आता था, लेकिन हमारा बिहार 22 मार्च 1912 को अस्तित्व में आया है. बंगाल से अलग होने के बाद से बिहार अपने गौरवशाली इतिहास को दोहराने के लिए लगातार प्रयासरत है. महाविद्यालय के सचिव सह मधेपुरा कॉलेज के उपाचार्य डॉ भगवान कुमार मिश्रा ने कहा कि हमारा बिहार बीते हुये कल में ज्ञान के साथ-साथ राजनीति का केंद्र रहा है. जहां से देश व दुनिया को दिशा मिली है. कल का बिहार आर्थिक व यातायात की दृष्टि से काफी पिछड़ा था. बिजली की अनुपलब्धता व शिक्षा का अभाव था. वर्तमान में बिजली व यातायात बहुत हद तक बेहतर हुआ है. शिक्षा व स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की पुरजोर कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि बिहार के लिए वर्तमान में बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व औद्योगिक विकास एक चुनौती है, जो आने वाले कल में साकार हो सकेगा और हम विकसित बिहार बना पायेंगे. बिहार एक ऐसा शब्द, जिसमें संपूर्ण भारत है निहित प्राचार्य ने कहा कि बिहार एक ऐसा शब्द है, जिसमें संपूर्ण भारत निहित है. आज भी आधुनिकता के दौर में बिहार की राजधानी पटना, कंप्यूटर की दुनिया में संपूर्ण विश्व में वाई-फाई का सबसे बड़ा जोन है. सभी मामलों में हम अपने को इस कदर बढ़ा लें तो चंद दिनों में भारत वर्ष अपने राज्य बिहार पर गर्व करने लगेगा. मौके पर डॉ उपासना कुमारी, डॉ नीलू कुमारी, डॉ श्वेता कुमारी, डॉ अंकिता कुमारी, डॉ लक्ष्मण कुमार, खुशखुश कुमारी, अंकिता कुमारी, डॉ कौशल कुमार, डॉ माधव कुमार, डॉ अमरेश कुमार, धर्मावती कुमारी, शबाना परवीन, काजल कुमारी, संजीव कुमार, मनीषा कुमारी, संदीप कुमार, डॉ प्रिया कुमारी आदि उपस्थित थे.
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