मधेपुरा. ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में गुरुवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने की. गुरु दो शब्दों गु व रु के योग से बना है. गु का अर्थ है अंधकार तथा रु का अर्थ है प्रकाश. इस तरह गुरु वह है, जो अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाए. उन्होंने कहा कि मां हमारी पहली गुरु होती है. हम कभी भी माता-पिता व गुरु के ऋण से उऋण नहीं होना चाहिए. इस अवसर पर मुख्य वक्ता एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि भारत में गुरु-शिष्य परम्परा समृद्ध रही है. भारतीय परंपरा में गुरु को आचार्य कहा गया है. आचार्य का अर्थ है आचरण से शिक्षा देने वाला गुरु ज्ञान देते हैं और इसके साथ ही चरित्र देते हैं. चरित्र के बिना ज्ञान बेकार है. उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा का गौरवशाली इतिहास रहा है. गुरु हमेशा अपने शिष्यों का हित चाहते हैं. गुरु शिष्य से पराजित होना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि उनका शिष्य उनसे भी आगे जाए. कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम महाविद्यालय के संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि की गयी. अतिथियों का पुष्पगुच्छ से सम्मान किया गया. कार्यक्रम का संचालन गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार और धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक कुमार राणा ने किया. मौके पर जयेश कुमार, पूजा कुमारी, सुमन कुमार, मनोरंजन राज, मुस्कान सिंह, आरती कुमारी, प्रतीक कुमार, संदीप कुमार, दिलीप कुमार आदि उपस्थित थे.
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