मधेपुरा. कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन संस्थान के स्थायी अध्यक्ष व टीएमबीयू के पूर्व प्रतिकुलपति डॉ केके मंडल के विद्यापुरी निवास पर उन्हीं की अध्यक्षता में प्रखर गजलकार डॉ सियाराम यादव मयंक का हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर सारस्वत सम्मान किया गया. डॉ मयंक भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित सैकड़ों हिंदी मंचों द्वारा गजलगो के रूप में सम्मानित हो चुके हैं. आज हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर डॉ मयंक को कौशिकी के अध्यक्ष डॉ केके मंडल, सचिव डॉ भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी एवं सदस्य डॉ रामचंद्र प्रसाद मंडल व अन्य के द्वारा अंगवस्त्रम, पाग, पुष्प आदि से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर सम्मेलन के सचिव डॉ मधेपुरी ने कहा कि गजल अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है, जो बाद में फारसी, उर्दू और हिंदी साहित्य में काफी लोकप्रिय हुई. सम्मेलन के सदस्य डॉ रामचंद्र मंडल ने कहा कि अब तो डॉ मयंक की गजलें सामान्य श्रोताओं के सिर चढ़कर बोलने लगी है. अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ केके मंडल ने कहा कि डॉ मयंक सरीखे सचेतन गजलकारों की गजलें श्रृंगार रस की अनुभूतियों की अपेक्षा जीवन के यथार्थ से जुड़कर अपनी व्यापकता से हमारी संवेदनाओं को स्पर्श करती है. उन्होंने यह भी कहा कि गजल के चिंतन पक्ष को मौलिक ढंग से उंचाई देने में डॉ मयंक ने कामयाबी हासिल की है. इस मौके पर गजलकार मयंक ने अपनी कई गजलों का सस्वर पाठ कर श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी. अंत में डॉ श्यामल कुमार सुमित्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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