मधेपुरा. शहर का मुख्य बाजार इस समय अतिक्रमण की समस्या से जूझ रहा है. दुकानदारों द्वारा सड़क की जमीन पर कब्जा कर पक्का निर्माण कर लिया गया है. यहां तक कि नाले के ढक्कन तक पर भी कब्जा कर दुकानें और ठेले सजाए जा रहे हैं. इसका नतीजा यह है कि बाजार की सड़कें दिन-प्रतिदिन संकरी होती जा रही हैं और पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है. मुख्य बाजार शहर की धड़कन है. यहां हर दिन हजारों लोग खरीदारी के लिए आते हैं, लेकिन अतिक्रमण ने इस बाजार को जाम, अव्यवस्था और गंदगी का अड्डा बना दिया है. यदि प्रशासन और नगर परिषद ने जल्द ही कदम नहीं उठाये तो आने वाले दिनों में हालात और भी भयावह हो सकता है. चौक-चौराहों पर बढ़ा अतिक्रमण शहर के कर्पूरी चौक, पूर्णिया गोला, सुभाष चौक और कॉलेज चौक पर अतिक्रमणकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन चौक-चौराहों पर दुकानों की हालत यह है कि दुकान के भीतर कम और सड़क पर ज्यादा सामान रखा रहता है. ठेला और पक्का निर्माण की वजह से यहां रोजाना घंटों तक जाम की स्थिति बनी रहती है. लोगों को पांच मिनट का रास्ता तय करने में आधा घंटे से अधिक समय लग जाता है. नाले पर भी कब्जा सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि दुकानदारों ने नाले तक को नहीं छोड़ा है. जगह-जगह नाले पर स्लैब डालकर उस पर दुकान बढ़ा दी गयी है. इससे नाले की सफाई प्रभावित होती है और हल्की बारिश में ही बाजार जलजमाव की चपेट में आ जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाले की सफाई के लिए नगर परिषद की टीम पहुंचती भी है तो अतिक्रमण की वजह से काम अधूरा ही रह जाता है. प्रशासन की उदासीनता लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. अतिक्रमण हटाने की कवायद सिर्फ कागजों पर ही चलती रहती है. समय-समय पर अभियान की घोषणा होती है, लेकिन उसका असर जमीनी स्तर पर नहीं दिखता. दुकानदार भी मानो बेखौफ होकर सड़क पर कब्जा किए बैठे हैं. आमजन को हो रही परेशानी बाजार से गुजरने वाले लोगों का कहना है कि अतिक्रमण ने उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं. सड़क पर पैदल चलना तक जोखिम भरा हो गया है. चारपहिया वाहन तो दूर, बाइक और साइकिल सवार भी जाम में घंटों फंसे रहते हैं. कई बार एंबुलेंस को भी रास्ता पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. वहीं, छात्र-छात्राओं और महिलाओं को रोजाना बाजार से गुजरने में खासी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. स्थानीय निवासियों की राय स्थानीय निवासी शंकर यादव का कहना है कि मुख्य बाजार में सुबह और शाम हालात सबसे ज्यादा खराब हो जाते हैं. अतिक्रमण की वजह से सड़क पर चलना भी मुश्किल हो गया है. प्रशासन सिर्फ दिखावा करता है लेकिन कार्रवाई नहीं होती है. वहीं, मुरारी भगत ने कहा कि हमारे बच्चों का रोजाना स्कूल-कॉलेज जाना खतरे से खाली नहीं है. गाड़ियों का दबाव इतना बढ़ जाता है कि पैदल चलने वालों के लिए जगह ही नहीं बचती. अगर प्रशासन ने कठोर कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में दुर्घटना की संभावना और बढ़ जायेगी. दुकानदारों की दलील दुकानदारों का कहना है कि वे लंबे समय से यहीं कारोबार कर रहे हैं और सड़क किनारे ही उनके रोजगार का जरिया है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सड़कें सार्वजनिक संपत्ति हैं और उस पर कब्जा किसी भी हाल में उचित नहीं ठहराया जा सकता. लोगों ने मांगी सख्त कार्रवाई शहरवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय. पहले चेतावनी देकर सड़क और नाले पर कब्जा हटाने को कहा जाय और तय समयसीमा के बाद भी कब्जा नहीं हटे तो प्रशासनिक बल प्रयोग से सड़क को खाली कराया जाय. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक कठोर कदम नहीं उठाये जायेंगे तब तक बाजार में अतिक्रमण की समस्या समाप्त नहीं होगी.
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