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कोरोना ने बदल दी जीवनशैली, प्राकृतिक औषधियों की बढ़ी मांग,अस्पतालों में कम हुई भीड़

लोगों का स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर हुआ है. अस्पतालों में रोगियों की संख्या घटी है. जो इस बात का सबूत है कि आम आदमी की बदली दिनचर्या एवं सफाई व स्वास्थ्य के प्रति बढ़ी जागरूकता के कारण सदी-खांसी, बुखार, टाइफाइड, मलेरिया, जाउंडिस, कालाजार, चर्मरोग, आंत्र रोग, डायरिया जैसे रोग के मामले काफी कम हुए हैं.

अमरेंद्र सुपौल : कोरोना ने जहां एक ओर पूरे विश्व में मानव समाज को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान कर रखा है. वहीं दूसरी ओर इस विश्वव्यापी महामारी ने आमलोगों के जीवन में भारी बदलाव भी ला दिया है. आलम यह है कि कोरोना के संक्रमण से बचाव की जद्दोजहद में लोगों की जीवनशैली बदल गयी है. यूं तो साफ-सफाई, अच्छा खान-पान, शुद्ध पेयजल, जंक फूड से परहेज, व्यायाम, योगा के लाभ, रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि आदि को लेकर वैद्य व चिकित्सक हमेशा से नसीहत देते रहे हैं. लेकिन शायद पहली बार ऐसा हुआ कि कोरोना के डर से लोग इन चीजों के प्रति जागरूक हुए हैं. बल्कि ऐसी चीजों को अमल में भी लाने लगे हैं.

नतीजा है कि कोरोना की वजह से हुई तबाही को अगर हम एक तरफ कर दें तो लोगों के दैनिक जीवन, स्वास्थ्य व आचार-विचार में बड़ा ही सकारात्मक परिवर्तन हुआ है. आश्चर्यजनक बात है कि इस बदलाव के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर हुआ है. अस्पतालों में रोगियों की संख्या घटी है. जो इस बात का सबूत है कि आम आदमी की बदली दिनचर्या एवं सफाई व स्वास्थ्य के प्रति बढ़ी जागरूकता के कारण सदी-खांसी, बुखार, टाइफाइड, मलेरिया, जाउंडिस, कालाजार, चर्मरोग, आंत्र रोग, डायरिया जैसे रोग के मामले काफी कम हुए हैं. कोरोना के कारण लंबे समय तक जारी लॉकडाउन से प्रकृति का स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर हुआ है और प्रदूषण कम होने से पर्यावरण को भी लाभ मिला है.

साफ-सफाई पर फोकस : कोरोना काल में लोगों को साफ-सफाई व स्वच्छता का महत्व समझ में आने लगा है. आम घरों के साथ ही कार्यालय व संस्थानों में सफाई पर अब विशेष ध्यान दिया जा रहा है. घरों के बाहर डीडीटी का छिड़काव, सेनेटाइजेशन की व्यवस्था, मास्क का प्रयोग, साबुन, हैंडवास व लिक्विड सैनिटाइजर से नियमित हाथों की सफाई का चलन बढ़ा है. लोग खुद के साथ ही अब दूसरों को भी इसके लिये जागरूक कर रहे हैं. अधिकांश घरों व प्रतिष्ठानों में तो अब बिना हाथ-पैर धोए व बिना मास्क पहने लोगों का प्रवेश भी वर्जित कर दिया गया है.

खान-पान में भी बदलाव : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने की जुगत में अधिकांश लोगों के खान-पान में भी परिवर्तन आया है. अधिकतर लोगों ने बाजार में उपलब्ध समोसे, चाउमिंग, पिज्जा, बर्गर, मोमोज जैसे जंक फूड को गुड बाय कर दिया है. बदले में घर के ताजा व पौष्टिक भोजन, गर्म पानी, काढ़ा, नींबू पानी, हल्दी के साथ गर्म दूध जैसे भोजन व पेय लोगों को भाने लगा है. जाहिर तौर पर बेहतर भोजन शैली के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है.

योगा व एक्सरसाइज का बढ़ा चलन : संक्रमण से बचने हेतु आमलोगों में व्यायाम व योगा करने का चलन बढ़ा है. तकरीबन हर परिवार में जागरूक लोग सुबह-सुबह टहलने के अलावा योगा, प्रणायाम, आसन व व्यायाम करने लगे हैं. खास कर अनुलोम-विलोम व कपाल भाति जैसे सांस संबंधी प्राणायाम पर जोर दिया जा रहा है. कोरोना काल में आयुर्वेदिक व प्राकृतिक औषधियों की डिमांड बढ़ गयी है. खास कर शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं की मांग बढ़ी है. दवा व औषधि विक्रेताओं ने बताया कि इन दिनों गिलोय, नीम, तुलसी, एलोवेरा, त्रिफला, मुलेठी, दाल-चीनी, सौंठ जैसी चीजों की डिमांड बढ़ गयी है. जिन्हें इम्युनिटी बूस्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है.

डॉ. शांति भूषण कहते हैं कि कोरोना से डरने की नहीं बल्कि इससे लड़ने की जरूरत है. लोगों को जागरूक होना चाहिए एवं अपनी जीवन शैली में भी बदलाव लाना चाहिए. मास्क व सोशल डिस्टैंसिंग का सख्ती से पालन करें. ताजा व संतुलित भोजन तथा गर्म पानी का प्रयोग करें. सात से आठ घंटे की भरपूर नींद लें. वाक, व्यायाम व योगा को दिनचर्या में शामिल करें. विटामिन व प्रोटीन युक्त भोजन को प्राथमिकता दें. किसी भी तरह की शारीरिक समस्या हो तो खुद इलाज करने के बजाय नजदीकी चिकित्सक व स्वास्थ्य केंद्र की मदद लें.

posted by ashish jha

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