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मुरलीगंज स्टेशन बना है खतरनाक, प्लेटफॉर्म ऊंचा नहीं रहने से हो रही दुर्घटना

मुरलीगंज स्टेशन बना है खतरनाक, प्लेटफॉर्म ऊंचा नहीं रहने से हो रही दुर्घटना

मुरलीगंज. मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की ऊंचाई कम होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यात्री जान जोखिम में डालकर ट्रेन में चढ़ते व उतरते हैं. कुशहा त्रासदी के बाद लगभग 16 वर्षों से यह समस्या बनी हुई है, इसके चलते अब तक कई दुर्घटनाएं हो चुकी है. स्थानीय लोगों और यात्रियों ने कई बार इस मुद्दे को उठाया, लेकिन रेल प्रशासन द्वारा अब तक इस पर कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. इसका खामियाजा लोगों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है. 21 दिसंबर 2024 को ट्रेन में चढ़ने के दौरान प्रतापगंज रेल थाना के हवलदार मोतीउर रहमान हादसे के शिकार हुये, जिससे उसकी मौत हो गयी. इससे पूर्व भी कई घटनाएं हो चुकी है. इसके बावजूद प्लेटफॉर्म ऊंचीकरण कराने के दिशा में कोई पहल नहीं हुई. 08 मार्च 2025 को मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के दौरान हारीगंज प्रखंड अंतर्गत बभनगामा तुलसीया गांव के वार्ड नंबर 6 निवासी 70 वर्षीय रमाकांत यादव हादसे का शिकार हो गया, जिसमें बुजुर्ग के दाहिने पैर ट्रेन की चपेट में आने से कट गया. इसके बाद घायल बुजुर्ग को आनन-फानन में इलाज के लिए सामुदायिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां मौके पर मौजूद चिकित्सक डॉ मुकेश कुमार पांडे ने प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए उन्हें हायर सेंटर मधेपुरा रेफर कर दिया. आखिरकार रमाकांत यादव की मौत हो गयी. मिला था आश्वासन 30 जून 2024 को समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम विनय श्रीवास्तव ने मुरलीगंज स्टेशन का निरीक्षण किया था. स्थानीय बुद्धिजीवों ने प्लेटफॉर्म ऊंचीकरण, यात्री शेड व अन्य सुविधाओं के लिए डीआरएम मांग पत्र सौंपा था. डीआरएम ने आश्वासन दिया था कि बारिश के बाद प्लेटफॉर्म को ऊंचा किया जायेगा, लेकिन 2024 से 2025 हो गया अब तक किसी प्रकार की पहल नहीं की गयी है. कहते हैं रेल संघर्ष समिति के सदस्य रेल संघर्ष समिति के दिनेश मिश्रा उर्फ बाबा ने बताया कि प्रशासन को यात्रियों की सुरक्षा के प्रति जवाबदेह होना चाहिये. उन्होंने कहा कि स्टेशन पर हर दिन सैकड़ों यात्री आवाजाही करते हैं और उन्हें हर बार जोखिम उठाना पड़ता है. यह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, जिसे अब और सहन नहीं किया जायेगा. सचिव विकास आनंद, उदय चौधरी ने कहा कि लंबी दूरी के ट्रेनों की परिचालन बढ़ाने को लेकर भी रेल मंत्रालय गंभीर नहीं है, जबकि मुरलीगंज रेलवे स्टेशन से आरक्षित व अनारक्षित टिकट से प्रतिदिन एक से सवा लाख रुपया राजस्व प्राप्ति होती है. इसके बावजूद रेल मंत्रालय मुरलीगंज रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म पर यात्री सुविधाओं का अभाव सतत बना हुआ है. समिति के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो स्थानीय लोग प्रदर्शन करेंगे.

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