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होगा उग्र आंदोलन मंदिर कुप्रबंधन के खिलाफ गोलबंद हो रहे लोग

24 घंटे तक बसहा का शव मंदिर परिसर में पड़ा रहना मंदिर प्रबंधन की संवेदनहीनता को दर्शाता है. मधेपुरा : बिहार के सुप्रसिद्ध सिंहेश्वर नाथ मंदिर में व्याप्त कुप्रबंधन के खिलाफ अब श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोग गोलबंद होने लगे हैं. वहीं विभिन्न राजनीतिक पार्टी के अलावे छात्र संगठन के प्रतिनिधि भी मुखर होकर मंदिर […]

24 घंटे तक बसहा का शव मंदिर परिसर में पड़ा रहना मंदिर प्रबंधन की संवेदनहीनता को दर्शाता है.

मधेपुरा : बिहार के सुप्रसिद्ध सिंहेश्वर नाथ मंदिर में व्याप्त कुप्रबंधन के खिलाफ अब श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोग गोलबंद होने लगे हैं. वहीं विभिन्न राजनीतिक पार्टी के अलावे छात्र संगठन के प्रतिनिधि भी मुखर होकर मंदिर प्रबंधन पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने सिंहेश्वर मंदिर के उचित प्रबंधन को लेकर आंदोलन करने की बात कही है.
लोजपा व्यावसायिक प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष सागर कुमार एवं बाबा सिंहेश्वर समाज सृजन मंच के उपाध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि मंदिर कुप्रबंधन का आलम यह है कि अब श्रद्धालाओं के आस्था से खिलवाड़ होने लगा है. वहीं भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय पाठक ने कहा कि 24 घंटे तक बसहा का शव मंदिर परिसर में पड़ा रहना मंदिर प्रबंधन की संवेदनहीनता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि भाजपा इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.
एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रतिनिधि मनीष कुमार ने मंदिर कुप्रबंधन के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कही. मनीष ने कहा कि आम श्रद्धालु मंदिर कुप्रबंधन का शिकार हो रहे हैं. एनएसयूआइ आम श्रद्धालुओं के साथ मिल कर मंदिर में उचित प्रबंधन कायम करने को लेकर तब तक आंदोलन करेगी जब तक सिंहेश्वर मंदिर परिसर की व्यवस्था सुदृढ न हो जाये.
ज्ञात हो कि सिंहेश्वर मंदिर परिसर में शुक्रवार को हजारों श्रद्धालु तब आक्रोशित हो उठे जब बीमारी के कारण तड़प तड़प कर दम तोड़ चुके बसहा के शव को वहां से नहीं हटाया गया था. श्रद्धालुओं के आक्रोश को देखते हुए शव को मंदिर परिसर से हटाने की प्रक्रिया शुरू की गयी. श्रद्धालुओं में इस बात को लेकर आक्रोश था कि जब गुरूवार की सुबह मंदिर मुख्य गेट के समीप बसहा की मौत हो गयी तो उसे हटा कर दफनाया क्यों नहीं गया.
उजागर हुई न्यास प्रबंधन की नाकामी: दिलीप सिंह : सिंहेश्वर मंदिर परिसर में शिव की सवारी बसहा की मौत पर अधिवक्ता सह भाजपा नेता दिलीप सिंह ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सिंहेश्वर मंदिर न्यास की नाकामी उजागर हुई है. श्री सिंह प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर बीमार बसहा का तड़प तड़प कर दम तोड़ देना और उसके मरने के बाद भी तत्काल शव को दफनाने के वजाय उसे वहीं सड़ने के लिए छोड़ देना अपने आप में आस्था के साथ खिलवाड़ है.
धार्मिक बोर्ड के निर्देश का नहीं हो रहा पालन
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति को धार्मिक न्यास परिषद पटना से निर्देश पर निर्देश मिल रहा लेकिन निर्देश को अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है. पिछले एक वर्ष के दौरान धार्मिक न्यास परिषद पटना के अध्यक्ष व प्रशासन द्वारा सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के सचिव को अलग अलग मामलों में आदेश मिल चुका है. वहीं परिषद ने पत्र जारी कर आदेश के अनुपालनार्थ प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है.
यह स्थिति तब है जब न्यास के कार्य में लापरवाही व अनियमितता बरतने के आरोप में मंदिर न्यास के पूर्व सचिव नप चुके है. धार्मिक न्यास पर्षद के प्रशासक ने कार्रवाई करते हुए पूर्व के सचिव को सचिव पद से हटा कर डीडीसी मिथिलेश कुमार को नये सचिव के रूप में नियुक्त किये. फिलवक्त सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के उचित प्रबंधन के मामले में आये नये निर्देश के अनुपालन में लेटलतीफ रवैया अपनाया जा रहा है. इस रवैये खिलाफ श्रद्धालु अब मुखर होने लगे हैं.
फोर्थ ग्रेड कर्मचारी के भरोसे मंदिर की व्यवस्था
सिंहेश्वर मंदिर में व्याप्त कुप्रबंधन के खिलाफ आक्रोशित होकर आंदोलन का बिगुल फूंक चुके श्रद्धालुओं ने कहा कि सवा साल से मंदिर न्यास समिति कामचलाउ पद्धति पर कार्य कर रही है. इतने दिनों से नियमित प्रबंधक के बदले फोर्थ ग्रेड कर्मचारी प्रबंधक के प्रभार में है और फोर्थ ग्रेड कर्मचारी ही मंदिर की संपूर्ण व्यवस्था संभाल रहे है.
न्यास के अनुसार किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति या प्रोन्नति धार्मिक न्यास पर्षद से हो सकती है. जबकि विगत वर्ष ही धार्मिक न्यास पर्षद पटना से नियमित व्यवस्थापक की नियुक्ति हो चुकी है. इस संबंध में मंदिर न्यास समिति की 19 फरवरी 2017 को संपन्न बैठक में सदस्यों ने सचिव के हवाले से कहा था कि प्रभारी प्रबंधक उक्त पद के लिए योग्य व सक्षम नहीं है. बैठक में सदस्यों ने कहा था कि पूर्व में ही न्यास समिति की चयन समिति द्वारा नियमित व्यवस्थापक का नाम चयनित था, जिसे बाद में तत्कालीन अध्यक्ष धार्मिक न्यास पर्षद ने 26 फरवरी 2016 को नियुक्त करने का आदेश दिये थे.
इसके बाद फिर 08 दिसंबर 2016 को पर्षद के प्रशासक ने न्यास समिति के सुचारू संचालन के लिए नियमित व्यवस्थापक को तत्काल प्रभार देने का निर्देश दिये है. आदेश में यह भी कहा गया है कि चूंकि नियमित प्रबंधक नियुक्ति से संबंधित मामला उच्च न्यायालय पटना में लंबित है. इसलिए प्रबंधक नियुक्ति के मामले में न्यायालय का अंतिम आदेश मान्य होगा. सदस्यों ने सहमति प्रदान करते हुए नियमित व्यवस्थापक को प्रभार देने की बात बैठक में मजबूती के साथ रखी थी.
इसके बावजूद अब तक न्यास समिति कामचलाउ पद्धति पर चल रही है. गौरतलब है कि बाबा के पास इतनी अकूत संपत्ति है कि पूरे सिंहेश्वर को ऐसा बनाया जा सकता है कि पूरे देश में इसकी अलग पहचान बनेगी. लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हो रहा.

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