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जलजमाव से गौरीपुरवासियों में आक्रोश

उदासीनता . पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से स्थिति हुई बदतर सिंहेश्वर प्रखंड कार्यालय के ठीक सामने और आदर्श थाना के चारो ओर बसा है शिवपुरी मुहल्ला. इन दिनों यह मुहल्ला जल जमाव की चपेट में है. मोहल्ले के कई घर तक पहुंचने के लिए घुटने भर पानी से हो कर गुजरना पड़ता है. […]

उदासीनता . पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से स्थिति हुई बदतर

सिंहेश्वर प्रखंड कार्यालय के ठीक सामने और आदर्श थाना के चारो ओर बसा है शिवपुरी मुहल्ला. इन दिनों यह मुहल्ला जल जमाव की चपेट में है. मोहल्ले के कई घर तक पहुंचने के लिए घुटने भर पानी से हो कर गुजरना पड़ता है. इससे यहां के निवासियों में आक्रोश है.
मधेपुरा : गौरीपुर पंचायत के वार्ड संख्या आठ में शिवपुरी मुहल्ला सहित पंडा टोला की घनी आबादी भी इस जल जमाव की चपेट में है. जल निकासी का मार्ग अवरूद्ध किये जाने के कारण यह समस्या और विकराल हो गयी है. ठहरा हुआ पानी सड़ने के कारण दुर्गंध निकलने लगी है. लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है. हाल यह है कि थाना तथा थाना के आवासीय परिसर के भी कई हिस्से जलमग्न हैं.
आक्रोशित हैं लोग : गौरीपुर के वार्ड संख्या आठ स्थित शिवपुरी मोहल्ले के रंजीत कुमार, राजीव कुमार,रितेश कुमार, मनतोष कुमार आदि सहित दर्जनों लोगों ने कहा है कि विगत तीन साल से बरसात का महीना उनलोगों के लिये अभिशाप बन गया है. पहले बारिश में पानी तो जमता था लेकिन दो दिनों में ही सारा पानी बह जाता था लेकिन अब यह पानी निकलने में महीनों लग जाता है. कई बार इस मामले को प्रशासनिक पदाधिकारियों की नजर में लाया गया है लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है. अगर यही हाल रहा तो उग्र आंदोलन किया जायेगा.
महिलाएं घरों में हुई कैद : यह जलजमाव महिलाओं के लिये कैद की सजा हो गयी है. महिलाओं को घर से निकलने में काफी फजीहत उठानी पड़ती है. घुटनों भर पानी से गुजरने में उन्हें शर्म का सामना करना पड़ता है. बहुत जरूरी काम हो तो वे शाम होने का इंतजार करती हैं ताकि वे पानी में बगैर कपड़े को भिगाये मुख्य सड़क पर आ सकें. लेकिन इन स्थितियों से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का क्या लेना देना है.
पंडा टोले में भी कई घर हैं जलमग्न
वार्ड संख्या आठ स्थित पंडा टोला में तालाब और खेत में जमा पानी का स्तर एक हो गया है और कई घरों में पानी प्रवेश कर गया है. दरअसल जिस भूभाग में स्थित है दो दशक पहले खेत हुआ करते थे. बारिश के दिनों में जब पानी जमा होने लगा तो जल निकासी के लिये पूर्व दिशा में बने नहर को लोगों ने खोद दिया. हालांकि इस नहर में लंबे अरसे से पानी नहीं छोड़ा गया. इसके बाद कितनी भी बारिश हुई लेकिन पानी आसानी से निकल जाया करता था. बाद में लोगों ने नहर के किनारे घर बना लिये और जल निकासी का रास्ता बंद हो गया है.
डीएम को भ्रामक रिपोर्ट देते हैं अधीनस्थ अधिकारी
सिंहेश्वर सिंहेश्वर प्रखंड के गौरीपुर पंचायत के वार्ड संख्या आठ के जिस बड़े भूभाग में जल जमाव की समस्या से सैकड़ों लोग परेशानहाल जीवन जी रहे हैं, वैसे संवेदनशील मामले में अधिकारी ऐसा व्यवहार करते हैं मानों आम आदमी कीड़े मकोड़े की जिंदगी जीने के लिये अभिशाप मिला हो. शिवपुरी सहित वार्ड संख्या आठ के अन्य मोहल्ले में जल जमाव का एकमात्र कारण जल निकासी का अवरूद्ध होना है. सायफन को बंद कर एक पाइप के सहारे नहर में धीरे-धीरे पानी निकलता है. इस रफ्तार से तो पानी निकलने में महीनों लग जाते हैं. इस मामले में जब डीएम मो सोहैल से लोगों ने फरियाद की तो उन्होंने अपनी अधीनस्थ अंचलाधिकारी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देश दिया कि अगर सायफन जाम है तो उसे शीघ्र साफ करायें. सीओ जयजयराम जांच में पहुंचे. उन्होंने पानी से भरे गड्ढे में मछली पकड़ रहे कुछ बच्चों से पाइप के दोनों सिरों को साफ करा लिया. हद तो तब हो गयी जब उन्होंने डीएम को दिये गये रिपोर्ट में सायफन को साफ करा कर पानी निकासी की सुचारू व्यवस्था कराने की बात कही.
साइफन तो बंद था और है भी : जिस साइफन की बात की जा रही है वह तो तीन साल से पूरी तरह बंद है. वर्षों पहले जब इस भूभाग के जल की निकासी के लिये नहर को खोदा गया था. बाद में इस जगह पर ही तत्कालीन जिला परिषद सदस्या कल्पना देवी ने अपने फंड से तीन लाख की राशि से साइफन का निर्माण कराया था. वर्ष 2008 में जब कोसी की बाढ़ आयी तो लोगों ने इस डर से कि पानी सिंहेश्वर में न आ जाये, इस साइफन का रास्ता बंद कर दिया. इसके बाद यहां रहने वालों ने साइफन को ही इस तरह ढंक दिया कि खोदने के बाद ही इसका पता लगाया जा सकता है.

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