सिंहेश्वर मंदिर . जल के बदले गाद से हो रहा बाबा का जलाभिषेक
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जल संकट से भगवान भी नहीं अछूता
सिंहेश्वर मंदिर . जल के बदले गाद से हो रहा बाबा का जलाभिषेक पूरे विश्व के जल संकट सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. भारत के कई राज्यों में भी पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है. जलस्तर काफी नीचे जा रहा है. मधेपुरा जिला भी इससे अछूता नहीं है. फिलहाल यहां सुप्रसिद्ध बाबा […]
पूरे विश्व के जल संकट सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. भारत के कई राज्यों में भी पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है. जलस्तर काफी नीचे जा रहा है. मधेपुरा जिला भी इससे अछूता नहीं है. फिलहाल यहां सुप्रसिद्ध बाबा मंदिर सिंहेश्वर में जल संकट गहरा गया है. श्रद्धालु बाबा को जल के बदले कचरा अपर्ण कर रहे हैं. बाबा मंदिर स्थित कुआं का जलस्तर गिरने से जल के बदले नीचे से गाद निकल रहा है. सिंहेश्वर मंदिर में ये स्थिति विगत पंद्रह दिनों से बनी हुई है. सोमवार को प्रभात खबर टीम ने जब कुआं पर पहुंची,तो कुंआ में पानी कम होने की वजह से पानी के साथ गाद और कचरा निकल रहा था.
मधेपुरा : सिंहेश्वर मंदिर के कुंए से निकल रहे गाद के कारण पूरा परिसर भी गन्दा हो गया है. कुंए से निकल रहे गाद को मंदिर प्रबंधन द्वारा सही जगह पर नहीं फेका जा रहा है.. मंदिर परिसर में कचरा जमा होना तो लाजिमी है. आलम यह है कि बाबा पर चढाया गया दूध भी गाद के कारण काला हो गया था. वहीं ज्यों ज्यों पानी का स्तर नीचे होते जा रहा है, त्यों त्यों कुंए में पानी के बदले भक्तों को गाद मिल रहा है.
वर्षो से कुंए की नहीं हुई है उड़ाही . सिंहेश्वर मंदिर स्थित कुंए की वर्षों से उड़ाही नहीं हुई है. जिसके कारण कुंए में गाद ज्यादा जमा हो गया और इस वर्ष सूर्य की तपिश के कारण जल स्तर के गिरने की वजह से पानी में काला गाद दिखाई पड़ रहा है. यदि समय पर कुंए की सफाई की जाती तो शायद स्थिति बेहतर होती. लेकिन न्यास के कर्मचारियों के उदासीनता की वजह से रोजाना पुजा कर रहे सैकड़ों श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यदि यही हाल रहा तो भगवान को भी शुद्ध पानी नसीब नहीं हो पायेगा. हालांकि भीषण गर्मी के कारण हर जगह जल स्तर घट गया है.
कुएं से निकल रहे कचरे से पटा सिंहेश्वर मंदिर
देखते ही देखते जल हो गया काला
सिंहेश्वर मंदिर स्थित कुंआ से काफी साफ पानी निकलने की बात श्रद्धालुओं द्वारा कही रही है. प्रतिदिन जलाभिषेक करने वाले भक्त गौतम कुमार ने बताया कि अप्रैल माह के दौरान पानी धीरे धीरे नीचे की और जाने लगा. अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कंआ से पानी कम कचरा अधिक निकलने लगा. गाद के कारण सफेद दिखने वाला पानी अब काला दिखने लगा है.
पहली बार हुई यह स्थिति
सहरसा के दिनेश प्रसाद गुप्ता, सुपौल के सुरेश यादव, प्रवीण यादव, कटिहार के पुष्पेन्द्र मांझी, उमेश कामत, मिथिलेश यादव, किशनगंज के उमेश मेहता आदि सोमवार को मंदिर में पूजा कर रहे थे. ये सभी श्रद्धालु बताते हैं कि इस तरह की स्थिति पहली बार हुई है. इससे पहले कभी जल स्तर इतना नीचे नहीं गया था.
70 फीट पर भी पानी नहीं
इन दिनों जिले के सुप्रसिद्ध सिंहेश्वर स्थान मंदिर में बाबा को अर्पित करने वाले जल के लिए श्रद्धालुओं में हाहाकार मचा हुआ है. बढ़ती गरमी के साथ ही कुंए का जल स्तर नीचे गिरने लगा है. कुंए की गहराई करीब 70 फीट नीचे बतायी जा रही है. इतने गहरे कुंए से भी बाबा को स्वच्छ पानी नसीब नहीं होना श्रद्धालु किसी आशंका से भयभीत है. पूरे मंदिर परिसर में त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. पानी की अधिक मात्रा के लिए जाना जाने वाला सिंहेश्वर स्थान में पानी के स्तर का गिरना पूरे कोसी क्षेत्र के लिए आने वाले खतरे का कहीं संकेत तो नहीं है.
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