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भेज रहा गलत बिल
प्रखंड स्तर पर काम कर रहे कनीय अभियंता नहीं लेते निर्णय, वरीय अधिकारियों का चक्कर लगाने को उपभोक्ता विवश. मधेपुरा : एक तरफ विद्युत विभाग बिजली की दर बढ़ाने व बकाये बिल का भुगतान नहीं होने पर कनेक्शन काटने में चुस्ती दिखा रहा है. वहीं उपभोक्ताओं को संतुष्ट करना तो दूर उन्हें परेशान करने में […]
प्रखंड स्तर पर काम कर रहे कनीय अभियंता नहीं लेते निर्णय, वरीय अधिकारियों का चक्कर लगाने को उपभोक्ता विवश.
मधेपुरा : एक तरफ विद्युत विभाग बिजली की दर बढ़ाने व बकाये बिल का भुगतान नहीं होने पर कनेक्शन काटने में चुस्ती दिखा रहा है. वहीं उपभोक्ताओं को संतुष्ट करना तो दूर उन्हें परेशान करने में भी विद्युत विभाग आगे है. सिंहेश्वर प्रखंड मुख्यालय में लोग विद्युत विभाग की कार्यशैली से परेशान हैं.
निजीकरण की राह पर बढ़ते इस विभाग का रवैया अब भी दशकों पुराना ही है. बिल वसूली में प्रोफेशनल और सर्विस मुहैया कराने में विभाग की कार्यशैली सरकारी अकड़ वाली हो जाती है.
तुरंत काट िदया जाता है कनेक्शन
केस स्टडी – 1 : सिंहेश्वर प्रखंड मुख्यालय में मेन रोड पर ही अनंत लाल स्वर्णकार का आवास है. उनके देहांत के बाद उनके पुत्र संजय कुमार स्वर्णकार ने पिता के नाम पर बकाया बिजली का बिल करीब चालीस हजार रुपये जमा कराया.
लंबित बिल को शून्य करने के बाद जब बिल आया तो संजय बिल से संतुष्ट नहीं हुए. उन्होंने विद्युत विभाग को आवेदन दिया कि उन्हें दिया जा रहा बिल ज्यादा है. इसकी जांच करायी जाये, लेकिन इस आवेदन पर कार्रवाई होने के बजाय दूसरे महीने फिर बिल आया. यह बिल भी बढ़ा हुआ था. जाहिर है कि इसमें गत माह का बिल भी जुड़ा हुआ था. संजय ने फिर से अधिकारियों के यहां चक्कर लगाया, लेकिन बिल में सुधार की कोई प्रक्रिया नहीं हुई. इधर, सिंहेश्वर के कनीय अभियंता ने उनके घर का कनेक्शन काटने में एक सेकेंड की देरी नहीं की. इस मामले में जेइ ने कहा कि उन्हें अगर एसडीओ या कार्यपालक अभियंता कह दें तो वह कनेक्शन जोड़ देंगे. अंतत: संजय ने बिजली बिल जमा किया इसके बाद भी अगले दिन उसके घर का कनेक्शन जोड़ा गया.
केस स्टडी – 2: घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र के श्रीनगर पंचायत के महादलित टोला वार्ड संख्या दस में बिल की समस्या से लोग परेशान हैं. विभाग बिल जमा करने के बाद भी दुबारा बिल भेज रहा है. उपभोक्ता कृतलाल यादव के घर में राजीव गांधी विद्युतीकरण मिशन के तहत बिजली व मीटर लगाया गया था.
उन्हें पहले महीने 2740 रुपये का बिल आया. इसमें से उन्होंने समयानुसार 2578 रुपया जमा कराया, लेकिन कार्यालय द्वारा 12 अप्रैल को फिर से 2845 रुपये का बिल भेज दिया गया. अब कृतलाल परेशान हैं कि क्या करें.
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