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फसल के बेहतर उत्पादन के लिए 16 से 18 पोषक तत्व की जरूरत

फसल के बेहतर उत्पादन के लिए 16 से 18 पोषक तत्व की जरूरत

किसानों को मिट्टी जांच और स्वास्थ्य कार्ड के उपयोग के लिए किया जागरूक जैविक खेती व वर्मी कंपोस्ट के उपयोग पर दिया गया जोर उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि भवन के सभागार परिसर में विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कृषि अनुमंडल पदाधिकारी कुमारी कविता ने शुभारंभ किया. इसमें किसानों को फसल लगाने से पहले मिट्टी जांच कराने एवं मिट्टी के स्थिति की जानकारी लेने के प्रति जागरूक किया. इस दौरान एक दर्जन से अधिक किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण करते हुए इसके उपयोग की तकनीकी जानकारी दी गयी. अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय में खेती योग्य भूमि की उपजाऊ क्षमता खराब हो गयी है. इसका मुख्य कारण लगातार बढ़ रहे रसायनिक खाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक का प्रयोग है. इसे कम करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा देना आवश्यक है. जहां इसके गोबर से वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है. वर्मी कंपोस्ट में हैं 16 पोषक तत्व प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए 16 से 18 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. किसान अभी मुख्य रूप से यूरिया, डीएपी व पोटाश का प्रयोग कर रहे है जिसके माध्यम से तीन पोषक तत्व नाइट्रोजन, फासफोरस व पोटाश की आपूर्ति होती है. बाकी पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती है. इससे मिट्टी में अन्य पोषक तत्वों की कमी हो रही है. इसलिए संतुलित पोषण प्रबंधन के लिए रासायनिक उर्वरकों के साथ साथ वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग आवश्यक है, जबकि जैविक खाद वर्मी कंपोस्ट में सभी 16 पोषक तत्व पाया जाता है. कृषि समन्वयक देवेंद्र कुमार ने बताया कि मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की प्रतिशत मात्रा व सूक्ष्म जीवों की कमी हो गयी है. यह फसलों के उत्पादन के लिए बाधक साबित होता है. इससे रासायनिक उर्वरकों का अधिकतम उपयोग नहीं हो पाता है. इसके समाधान के लिए दलहनी फसलों का उत्पादन व बेहतर फसल चक्र को अपनाने की जरूरत है. कृषि समन्वयक कुमार सानू, मनीष कुमार, धर्मेंद्र कुमार आदि ने बताया कि मिट्टी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ाने की जरूरत है. जैविक व प्राकृतिक खेती के माध्यम से खेतों में आर्गेनिक कार्बन एवं संतुलित पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है. इससे बेहतर उपज प्राप्त होती है एवं मिट्टी की उर्वरता भी बेहतर होता है. मौके पर कृषि सलाहकार सहित अन्य किसान मौजूद थे.

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